पाकिस्तान से आई मूक-बधिर गीता के अपनों से मिलन की जगी आस , जाने कैसे ?

By: संदीप पौराणिक पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर गीता की जिंदगी में बदलाव की आस जग गई है और यह संभावना बलवती होने लगी है कि वह जल्दी ही अपनों के बीच पहुंच जाएगी। गीता अब महाराष्ट्र के परभणी में रहेगी जहां उसे आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के

By: संदीप पौराणिक 

पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर गीता की जिंदगी में बदलाव की आस जग गई है और यह संभावना बलवती होने लगी है कि वह जल्दी ही अपनों के बीच पहुंच जाएगी। गीता अब महाराष्ट्र के परभणी में रहेगी जहां उसे आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के विशेषज्ञ मदद करेंगे।

गीता को पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की पहल पर 26 अक्टूबर 2015 को पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था। उसे इंदौर के मूक बधिर संगठन में अस्थाई आश्रम मिला था। बीते पांच सालों से लगातार उसके परिजनों की खोज जारी है मगर अब तक सफलता नहीं मिली है। गीता 20 जुलाई 2020 से आनंद सर्विस सोसायटी के पास थी और इसी सोसाइटी द्वारा उसकी देखभाल की जा रही थी।

पाकिस्तान से आई मूक-बधिर गीता के अपनों से मिलन की जगी आस , जाने कैसे ?
पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज । (Wikimedia Commons )

आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका पुरोहित लगातार गीता के परिजनों की खोज में लगे थे। गीता ने उन्हें बताया था कि वह जिस जगह में रहती थी वहां के रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखा होता था, साथ ही उसके घर के पास गन्ना और मूंगफली की खेती भी होती थी। मोनिका पुरोहित ने आईएएनएस को बताया है कि गीता ने जो संकेत दिए उसी आधार पर उन्होंने जब खोज शुरू की तो वे इस नतीजे पर पहुंचे कि गीता का कहीं न कहीं नाता महाराष्ट्र से रहा है। साथ ही गीता ने यह भी बताया था कि वह एक ऐसी ट्रेन में बैठी थी जिसका एक जगह इंजन बदला जाता है और दूसरी जगह पहुंचने के बाद वह ट्रेन बदलती है। जिससे वह पाकिस्तान पहुंची थी।

मोनिका पुरोहित बताती हैं कि उन्होंने इस आधार पर तहकीकात की तो पता चला कि सचखंड एक्सप्रेस नांदेड़ से अमृतसर जाती है और परभणी पर उस समय आती है जो समय गीता ने बताया था। इतना ही नहीं लगभग डेढ़ घंटे बाद अन्य स्टेशन पर गाड़ी इंजन भी बदला जाता है। इसके अलावा गीता ने रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे होने की बात कही थी। उसे भाषा ज्ञान बेहतर नहीं है इसलिए संभावना इस बात की बन रही थी कि मराठी को ही वह हिंदी समझी थी। इसके साथ ही उस इलाके में मूंगफली और गन्ने की खेती होती है। गीता ने संबंधित गाड़ी के दूसरे स्थान पर पहुंचने पर दूसरी गाड़ी में सवार होने की बात का पता किया गया तो सचखंड एक्सप्रेस जिस समय अमृतसर पहुंचती है, उसके बाद वहां से समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान को जाती थी।

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आनंद सर्विस सोसायटी द्वारा गीता के परिवार की तलाश जारी ही थी कि तभी परभणी के वाघमारे परिवार ने गीता के अपनी बेटी होने का दावा किया है। मोनिका पुरोहित ने बताया है कि फिलहाल गीता को परभणी भेज दिया गया है, जहां वह पहल नामक संस्था में रहेगी, जिस का संचालन मूक-बधिर लोगों द्वारा ही किया जाता है, इसके साथ ही उसे आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होगी। गीता को मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस भी मदद करेगा।

मोनिका पुरोहित का कहना है कि परभणी से आए परिवार ने गीता के गुमने के जो तथ्य दिए हैं, वह काफी मेल खाते हैं इसलिए जल्दी ही परिवार और गीता का डीएनए कराया जा सकता है उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। फिलहाल गीता डीएनए के लिए तैयार नहीं है। गीता के परिवार की खोज में इंदौर के पुलिस उप महानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्रा भी लंबे अरसे से प्रयासरत हैं। (आईएएनएस )

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