भारत एक ऐसा देश है जहाँ कदम-कदम पर विविधताओं से परिचय होगा। त्यौहार से लेकर वेशभूषा तक, बोली, हाव-भाव, सब अपने में एक कहानी को कहते हैं। अपने अतीत के विषय में बताते हैं और उनके होने का उद्देश्य बताते हैं। किन्तु एक विशेषता, जो भारत के कण-कण में बसती है वह है भारत की अखंडता, जो कि विविधताओं में भी एकता को प्रदर्शित करता है। आज, Holi के इस पावन पर्व के उपलक्ष्य में हम कुछ ऐसे ही विषय पर चर्चा करेंगे। हम आज बात करेंगे रंगो के त्यौहार Holi और साथ ही यह भी जानेंगे कि देश के किन-किन हिस्सों में में यह त्यौहार किस तरह मनाया जाता है।
उत्तर-प्रदेश: “ब्रज की होली”
उत्तर-प्रदेश का हर छोर होली के रंग में सराबोर दिखता है, बरसाने की लठमार होली की प्रथा देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। लोग दूर-दूर से नन्दगांव में इस होली का आनंद लेने आते हैं। वहीं मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में ‘फूलों की होली’ खेली जाती है। होली के दिन क्या युवा, क्या बुज़ुर्ग सब कृष्ण भक्ति के रंग में रमे होते हैं।
पंजाब: “होला मोहल्ला”
होला मोहल्ला पंजाब प्रान्त में मनाया जाता है। होला मोहल्ला वास्तव में एक वार्षिक मेला है जो होली के त्योहार के बाद से पंजाब के आनंदपुर साहिब में बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है। दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह द्वारा इस तरह का मेला लगाने की प्रथा को शुरू किया गया था। इस दिन सभी गुरुद्वारों में कीर्तन किए जाते हैं। आनंदपुर साहिब के साथ-साथ अन्य गुरुद्वारों में भी लंगर लगाया जाता है जिसे हर वर्ग का व्यक्ति प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकता है।
पश्चिम बंगाल: “बसंत उत्सव”
पश्चिम बंगाल में होली को ‘बसंत उत्सव’ के नाम से जाना जाता है। बसंत उत्सव की परंपरा को कवि और भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शांति निकेतन, विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया था। लड़के और लड़कियां खुशी से बसंत का स्वागत करते हैं, न केवल रंगों के साथ, बल्कि गीतों, नृत्य, शांतिनिकेतन के शांत वातावरण में भजनों के साथ होली के त्यौहार को मनाते हैं। बसंत उत्सव के साथ डोल जत्रा भी मनाया जाता है जिसमें छात्र भगवा रंग के कपड़े पहनते हैं और सुगंधित फूलों की माला पहनते हैं। वे संगीत वाद्ययंत्रों की संगत में गाते हैं और नृत्य करते हैं।
हरियाणा: “धुलंडी होली”
हरियाणा में धूम-धाम से खेला जाने वाला यह होली का त्यौहार अपने में ही अनूठा है। इस दिन भाभी को होली पर अपने देवरों को पीटने और पूरे साल उनके द्वारा खेली गई सभी मज़ाकों का बदला लेने के लिए स्वीकृति मिलती है। और दूध हांडी भी लटकाई जाती है जिसे युवा फोड़ते हैं।
उत्तराखंड: “खड़ी होली”
खड़ी होली कुमाऊँ क्षेत्र में खेली जाती है, जिसमें मुख्यतः उत्तराखंड के शहर शामिल हैं। उत्सव में, स्थानीय लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, समूहों में खारी गाने गाते हैं और नृत्य करते हैं। वह टोलियों में जाते हैं, और उन सभी घरों पर रुकते हैं जहाँ-जहाँ से वह सब गुजरते हैं। इस क्षेत्र में, होली आमतौर पर विभिन्न संस्करणों में एक संगीत सभा होती है जिसे बैतिका होली, खादी होली और महिला होली के रूप में भी जाना जाता है।
मणिपुर: “योसंग”
मणिपुर में, योसंग छह दिनों के लिए मनाई जाती है। यह पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है और हिंदू और स्वदेशी परंपराओं को जोड़ता है। त्योहार का मुख्य आकर्षण थबल चोंगा है, जो एक मणिपुरी लोक नृत्य है जिसे इन छह दिनों के दौरान किया जाता है। परंपराओं को जोड़ने और एकरूपता बनाए रखने के लिए मणिपुर के हिंदू इस त्योहार को रंगों के साथ भी खेलते हैं।
गोवा: “शिग्मो”
गोवा के स्थानीय सड़कों पर लोक-नृत्य कर यहाँ पर होली के त्यौहार को मनाते हैं। इस त्यौहार के उपलक्ष्य में नावों को सजाया जाता है।
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2021 की होली
किन्तु इस साल कई राज्यों में होली का रंग फीका रहने वाला है। कोरोना महामारी वापस जिस रफ्तार से लोगों को अपने चपेट में ले रही है, उसको मद्देनज़र रखते राज्य सरकारों ने सार्वजनिक होली मनाने पर रोक लगा दी है। जिस वजह से कई जगहों पर प्रतिबन्ध को सख्ती से पालन कराने की हिदायत पुलिस को दी गई है। खास कर उन क्षेत्रों में जहाँ कोरोना संक्रमितों के मामले अधिक हैं जैसे कि मुंबई, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर-प्रदेश, ओडिशा, मध्य-प्रदेश, गुजरात एवं चंडीगढ़। यह वह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहाँ कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने में तेजी आई है।
लेकिन यह सभी प्रतिबन्ध हमारी देन है, क्योंकि कोरोना का टीका आने के बाद हमने यह घोषित ही कर दिया था कि कोरोना महामारी खत्म हो चुकी है। न किसी मास्क का ध्यान रखा और न ही दो गज की दूरी का, जिस वजह से देश कोरोना विस्फोट के दूसरे चरण की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अभी भी समय है और हम इस पर काबू पा सकते हैं, किन्तु शर्त यह है कि हमें सरकार द्वारा बताए गए नियमों का पालन करना होगा।