क्या संस्कृति को बचाने पर ज़ोर केवल भाषणों में ही दिया जाएगा?

हिंदी शब्द एक जाल के समान है जिसमें जितना उलझोगे उतना ही सुख पाओगे। मगर आज के दौर में हिंदी को एक बोझ की तरह समझा जा रहा है और लोग इससे पीछा छुड़ाने की कोशिश में हैं।

0
518
Hindi Diwas in India
हिंदी, मातृभाषा (सांकेतिक चित्र, Canva)

“साहित्य की महिमा गान सुनाने कई आए कई अमर हुए, इतिहास गवाही है सबकी कि साहित्य ने इनको जन्म दिए”

हिंदी ना केवल एक भाषा है बल्कि यह हर एक तबके तक अपने विचार पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

“हिन्द से हिंदुस्तान हुए, भारत भरत के नाम हुए, है कमाल इस भाषा का, वीर वीरांगनाओं के बखान हुए”

आज का यह दौर दोहरा मुखौटा लगाए घूम रहा है, एक तरफ तो स्कूलों की तरफ से कहा जाता है कि हम संस्कृति को बचाने की कोशिश कर रहे हैं मगर उन्ही स्कूलों में हिंदी बोलने पर जुर्माना लगाया जाता है। क्या हिंदी की यही महत्ता रह गई है? क्या उस भाषा पर भी अब जुर्माना लगाया जाएगा जिसे हमने मातृभाषा का दर्जा  दिया है? 

यह भी पढ़ें: अब हर नज़र में तेरी करतूतें कैद हैं, ज़ुबान कितनों की खामोश करेगा।

हिंदी साहित्य में 10 रस के बखान किए गए हैं, जिन्हे श्रृंगार रस, रौद्र रस, हास्य रस, वीर रस आदि नामों से जाना जाता है और हर रस के अपने-अपने महत्व हैं। इन सभी का इस्तेमाल या तो भाषणों में किया जाता है या काव्य लेखन में। मगर आज के तथाकथित विद्वान अंग्रेजी से पीछा छुड़ा पाएँ तभी कुछ हो सकता है।  

माँ भारती कई वीरों और वीरांगनाओं की जन्मभूमि एवं मरणभूमि रहीं हैं और आगे भी रहेंगी, कई शौर्य गाथाओं की यहाँ गवाही दी गई है और हिंदी ही एक माध्यम है जिससे हम भगत सिंह और चंद्र शेखर आज़ाद जैसे वीरों के बलिदान और शौर्य को पुनः जीवित कर सकते हैं और कुछ चुनिंदा युवा एवं विद्वान इस प्रयास में रात दिन लगे हुए हैं।

meaning of Hindi
हिंदी भाषा का सटीक आंकलन। (Twitter)

 दुःख इस बात का है कि हिंदी जैसे पवित्र भाषा को कुछ मूर्ख एवं ढोंगी कवियों ने अपनी जागीर समझ ली है। अपने लिखे वाहियात गालियों और घिनौनी पंक्तियों को कविता कहते हैं और सोशल मीडिया पर बड़े शान से खुद को कवि कहलाते हैं। 

यह भी पढ़ें: धर्म एक विषय है या स्वयं में सवाल?

यह हमारा कर्तव्य है कि अपनी मातृभाषा की रक्षा में कोई कसर ना छोड़ें, नहीं तो केवल गालियाँ ही सुनने को मिलेंगी और शब्दों की हत्या हो चुकी होगी। 

दोस्तों! हिंदी के लिए कोई एक दिवस नहीं होता हिंदी स्वयं में त्यौहार है, जिसे जितना समझेंगे उतना ही आनंद मिलेगा।  

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here