लोजपा प्रमुख चिराग के लिए राजग से अलग होकर चुनाव लड़ना भारी पड़ गया!

पार्टी में छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने चिराग पासवान को नेता मानने से इंकार करते हुए उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ खडे हो गए है।

LJP chief Chirag had to contest elections after separating from NDA
(NewsGram Hindi)

By: मनोज पाठक

लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हटकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना भारी पड़ गया। सूत्रों का दावा है कि लोजपा में इस मुद्दे को लेकर इस कदर आंतरिक नाराजगी उभर आई है कि छह में से पांच सांसद अलग गुट बना चुके हैं। हालांकि इस मसले पर अब तक कोई भी अधिकारिक रूप से बयान नहीं दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने चिराग पासवान को नेता मानने से इंकार करते हुए उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ खडे हो गए है।

सूत्रों ने बताया कि असंतुष्ट सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं। इस बीच लोजपा के अंधिकांश नेता दिल्ली पहुंच गए हैं या पहुंचने वाले हैं। इस संबंध में जब लोजपा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं। इधर, कहा जा रहा है लोजपा के नेता अध्यक्ष चिराग से नाराज थे जिसमें जदयू के नेता ने आग में घी डालने का काम किया और लोजपा टूटने के कगार पर पहुंच गया है।

Pashypati Kumar Paras
पशुपति कुमार पारस(Wikimedia Commons)

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ सरेआम मोर्चा खोला था। चुनाव में लोजपा एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी, लेकिन एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह भी जदयू का दामन थाम लिया है। हाल में ही पहली टूट तब हुइ थी जब बिहार विधान परिषद में लोजपा की एकमात्र विधान पार्षद नूतन सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं। लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान चुनाव के पूर्व से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उपर निशाना साधते रहे हैं। नीतीश कुमार ने इसपर कभी भी खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी। सूत्रों का दावा है कि जदयू सामने से कभी भी हमलवार नहीं हुई, लेकिन लोजपा पर लगातार निगाह बनाए रखी।

सूत्रों का कहना है कि पटना में दो दिन पहले जदयू सांसद ललन सिंह से पशुपति कुमार पारस की मुलाकात भी हुई थी। कहा जा रहा है कि पारस जदयू और भाजपा के नेताओं के साथ संपर्क में थे। जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी कहते हैं कि यह अकुशल नेतृत्व का परिणाम है कि पार्टी में टूट हो रही है। उन्होंने कहा कि चिराग से उनकी कोई व्यक्तिगत परेशानी नहीं है, लेकिन वे राजग को ही कमजोर करने में लगे थे। ये राजद के स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे, जिससे उनके दल में ही असंतोष उभरा है।

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चिराग के इस रवैये से पशुपति पारस समेत अन्य नेता भी नाखुश थे। कहा जा रहा है लोजपा के नेता कभी नहीं चाहते थे कि लोजपा राजग से अलग होकर चुनाव लड,े लेकिन चिराग ने यह फैसला लिया। इसके बाद से ही पार्टी में नाराजगी प्रारंभ हो गई थी, उसके बाद यह नाराजगी बढ़ती चली गई। वैसे, यह भी हकीकत है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद लोजपा कभी सक्रीय नहीं हुई। बहरहाल, लोजपा में टूट की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इतना तय है कि चिराग का राजग से अलग हटकर विधानसभा चुनाव लड़ना गलत निर्णय साबित हुआ, जिससे पार्टी अूट के कगार पर पहुंच गई। अब देखना हेागा पार्टी में ही टूट होती है या परिवार में भी टूट होती है।(आईएएनएस-SHM)

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