जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी जांच के अगले चरण की योजना तैयार की है कि coronavirus महामारी कैसे शुरू हुई, बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसी कार्य के लिए तैयार नहीं है और सिर्फ संयुक्त राष्ट्र एजेंसी जांच करने वाली एक मात्र एजेंसी नहीं होनी चाहिए। कई विशेषज्ञ, जिनमें से कुछ डब्ल्यूएचओ से मजबूत संबंध रखते हैं, का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच राजनीतिक तनाव एजेंसी द्वारा पुख्ता जवाब खोजने के लिए एक जांच को असंभव बना देता है।
वह सभी कहते हैं कि 1986 के चेरनोबिल परमाणु आपदा के बाद जो हुआ, उसके निकत स्वतंत्र विश्लेषण की आवश्यकता है। मार्च में COVID-19 की शुरुआत कैसे हुई, इस पर WHO-चीन के संयुक्त अध्ययन के पहले भाग में यह निष्कर्ष निकाला गया कि coronavirus शायद जानवरों से मनुष्यों में संक्रमित हो गया, किन्तु उसने एक प्रयोगशाला रिसाव को “असंभव” माना। अगला चरण में एजेंसी पहले मानव मामलों की अधिक विस्तार से जांच करने का प्रयास कर सकता है या जिम्मेदार जानवरों को इंगित कर सकता है – संभवतः चमगादड़।
लेकिन यह विचार, कि महामारी किसी तरह एक प्रयोगशाला में शुरू हुई और शायद वायरस को बनाया गया हो, इन मुद्दों ने हाल ही में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, राष्ट्रपति जो बिडेन ने संभावना का आकलन करने के लिए 90 दिनों के भीतर अमेरिकी खुफिया एजेंसी को इस मामले पर समीक्षा करने का आदेश दिया है। इस महीने की शुरुआत में, डब्ल्यूएचओ के आपात स्थिति प्रमुख डॉ. माइकल रयान ने कहा था कि एजेंसी अपनी जांच के अगले चरण के अंतिम विवरण पर काम कर रही है और क्योंकि डब्ल्यूएचओ “समझा-बुझाकर” काम करता है, इसमें चीन सहयोग करने के लिए में मुश्किल पैदा कर रहा है। कुछ जानकारों ने कहा कि यही कारण है कि डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व वाली जाँच का असफल होना तय है।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में डब्ल्यूएचओ कोलैबोरेटिंग सेंटर ऑन पब्लिक हेल्थ लॉ एंड ह्यूमन राइट्स के निदेशक लॉरेंस गोस्टिन ने कहा, “हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के भरोसे महामारी के शुरुआत नहीं पता लगा पाएंगे। डेढ़ साल से, चीन द्वारा विषयों को छुपाया जा रहा है, और यह बहुत स्पष्ट है कि वे इसकी तह तक नहीं पहुंचेंगे।”
गोस्टिन ने कहा कि अमेरिका और अन्य देश या तो एक साथ मिलकर काम करने की कोशिश कर सकते हैं और अपनी ख़ुफ़िया जानकारी को एक-दूसरे से मिलाकर जाँच को आगे बढ़ा सकते हैं या अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य कानूनों को संशोधित करने के लिए डब्ल्यूएचओ को जरूरत है, या जांच के लिए कुछ नई इकाई बनाई जाएं। वह इसलिए क्योंकि डब्ल्यूएचओ के मिशन के पहले चरण में न केवल वहां यात्रा करने वाले विशेषज्ञों के लिए बल्कि उनके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के लिए चीन की मंजूरी की आवश्यकता पड़ती थी।
रटगर्स विश्वविद्यालय के एक आणविक जीवविज्ञानी रिचर्ड एब्राइट ने इसे एक “तमाशा” कहा और कहा कि यह निर्धारित करना कि क्या वायरस जानवरों से इंसानों में गया या एक प्रयोगशाला से इसका गया, एक वैज्ञानिक प्रश्न से अधिक है और स्वास्थ्य संगठन के जानकारी से परे राजनीतिक खेल है। COVID-19 के निकटतम बीमारी को पहले 2012 के प्रकोप में खोजा गया था, जब चीन के मोजियांग खदान में संक्रमित चमगादड़ों के संपर्क में आने के बाद छह खदान में काम करने वाले मजदूर, निमोनिया से बीमार पड़ गए थे। हालांकि, पिछले एक साल में, चीनी अधिकारियों ने खदान को बंद कर दिया और वैज्ञानिकों ने नमूने जब्त कर लिए, जबकि स्थानीय लोगों को पत्रकारों से बात नहीं करने का आदेश दिया गया था।
हालाँकि चीन ने शुरू में कोरोनोवायरस की उत्पत्ति को देखने के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन 2020 की शुरुआत में यह अचानक वह पीछे खड़ा हो गया क्योंकि वायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। पिछले दिसंबर में एक एसोसिएटेड प्रेस की जांच में पाया गया कि बीजिंग में चीन की केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा अनिवार्य समीक्षा सहित COVID-19 अनुसंधान के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाया था।
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डब्ल्यूएचओ सलाहकार समूह में बैठे जेमी मेटज़ल ने सहयोगियों के साथ सात औद्योगिक देशों के समूह द्वारा स्थापित एक वैकल्पिक जांच की संभावना का सुझाव दिया है। कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेफरी सैक्स ने भी कहा कि अमेरिका को अपने वैज्ञानिकों को एक कठोर जाँच के अधीन काम करने के लिए तैयार होना चाहिए और यह मानना चाहिए कि वह चीन के समान ही दोषी हो सकते हैं।
“अमेरिका वुहान में प्रयोगशालाओं में अनुसंधान में गहराई से शामिल था,” सैच्स ने विवादास्पद प्रयोगों के अमेरिकी वित्त मदद देने और महामारी को बढ़ावा देने वाले सक्षम पशु वायरस की खोज का जिक्र करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि “यह विचार कि चीन बुरा व्यवहार कर रहा है, इस जांच को शुरू करने के लिए पहले से ही गलत आधार है। अगर प्रयोगशाला का काम किसी तरह (महामारी के लिए) जिम्मेदार था, तो संभावना है कि यह अमेरिका और चीन दोनों एक वैज्ञानिक पहल पर एक साथ काम कर रहे थे।”(VOA)
(हिंदी अनुवाद शान्तनू मिश्रा द्वारा!)