पाठशालाओं में संस्कृति, संस्कृत और संस्कार का ज्ञान दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से चुन्नू-मुन्नू संस्कार पाठशाला के नाम से खुलने वाली पाठशालाओं में गांव-गांव में संस्कृत पढ़ाए जाने की कवायद चल रही है।

उत्तर प्रदेश (Uttar pardesh) में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हर जतन किए जा रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश संस्कृत (Sanskri) संस्थान की ओर से चुन्नू-मुन्नू संस्कार पाठशाला (Pathshala) के नाम से खुलने वाली पाठशालाओं में गांव-गांव में संस्कृत पढ़ाए जाने की कवायद चल रही है। उप्र संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ.वाचस्पति मिश्र (Dr. Vachaspati Mishra) ने बताया कि जिस प्रकार आंगनबाड़ी (Anganwadi) संचालित होती है। उसी प्रकार से प्रदेश सरकार की पहल पर उप्र संस्कृत संस्थान की ओर से सभी ग्राम पंचायतों में चुन्नू-मुन्नू संस्कार पाठशालाएं खोली जाएंगी। यहां बच्चों को संस्कृत के ज्ञान के साथ ही नैतिक संस्कारों (Moral values) के बारे में बताया जाएगा। इसमें बच्चों को वस्तुओं के नाम, फलों के नाम, शरीर के नाम, श्लोक, गिनती और सुक्तियां, श्लोक (Sholka) आदि का ज्ञान दिया जाता है। जिससे बच्चों को संस्कृत प्रति सहजता हो सके।

उन्होंने बताया कि 2019 में कुछ केन्द्र बनाएं गये थे। लेकिन कोरोना (Corona) के चलते इसे बंद करना पड़ा था। इसे ऑनलाइन नहीं पढ़ाया जा सकता है। इसके लिए केन्द्र ही जाना पड़ेगा। इसमें इंटर पास लोगों को अध्यापक बनाया जा रहा है। उसकी पहले ट्रेनिंग लेगा, पढ़ाएगा, अगर वह खरा उतरता है तो उसकी परीक्षा होती है। फिर उसका चयन हो जाता है। योजना हर ब्लाक के लिए है। अभी तक करीब 500 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। पाठशाला में बच्चों को आकर्षित करने के लिए उन्हें टॉफी, बिस्किट व फल सहित अन्य चीजें भी नि:शुल्क दी जाएंगी। अगले महीने से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

संस्कृत में श्लोकों को सिखाने और उनके महत्व के बारे में भी बच्चों को बताया जाएगा। (सांकेतिक चित्र, Wikimedia commons)

उन्होंने बताया कि चुन्नू-मुन्नू संस्कार पाठशाला के नाम से खुलने वाली पाठशालाओं में गांव की रहने वाले इंटर पास लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ग्राम पंचायत में रहकर छात्राएं पंचायत भवन, ग्रामीण सचिवालय या फिर मंदिर (Temple) जैसी किसी भी सार्वजनिक स्थल पर छात्राएं केंद्र चलाएंगी। करीब दो घंटे की कक्षा का समय बच्चों की सुविधा व मुख्य पढ़ाई के समय को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाएगा।

यह भी पढ़ें :- राम और कृष्ण के गुण अपनाने से खत्म होंगे कंस और रावण जैसे लोग : विहिप प्रवक्ता

वचस्पति कहते हैं कि इन पाठशालाओं में संस्कृति, संस्कृत और संस्कार का ज्ञान दिया जाएगा। बच्चों को खेल-खेल में नैतिक शिक्षा का बोध कराया जाएगा। इसमें कॉपी-किताबों के लिए कोई जगह नहीं है। इसके लिए हमने 6000-7000 प्राथमिक स्कूलों को प्रशिक्षण दिया है। इसमें आनॅलाइन प्रशिक्षण दिया गया है। वह छोटे-छोटे बच्चों को संस्कृत (Sanskrit) सिखा रहे हैं। बच्चों की पाठशाला में कक्षा पांच के नीचे पढ़ने वाले बच्चों को संस्कृत भाषा में मंत्रोच्चारण के साथ ही नैतिक शिक्षा और संस्कारों के बारे में पढ़ाया जाएगा। बच्चों को अनाज और फलों की जानकारी के साथ ही संस्कृत में श्लोकों को सिखाने और उनके महत्व के बारे में भी बच्चों को बताया जाएगा। (आईएएनएस-SM)
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here