आज दोपहर को एक दुखद खबर सामने आई कि मीडिया जगत के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार ‘रोहित सरदाना‘ अब इस दुनिया में नहीं रहे। इस बात की पुष्टि की है ज़ी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने जिन्होंने ट्विटर के जरिए इस खबर को साझा किया। जिन्होंने लिखा कि “अब से थोड़ी पहले जीतेन्द्र शर्मा का फ़ोन आया। उसने जो कहा सुनकर मेरे हाथ काँपने लगे।हमारे मित्र और सहयोगी रोहित सरदाना की मृत्यु की ख़बर थी।ये वाइरस हमारे इतने क़रीब से किसी को उठा ले जाएगा ये कल्पना नहीं की थी।इसके लिए मैं तैयार नहीं था।ये भगवान की नाइंसाफ़ी है..”
वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना की मृत्यु का कारण ‘कार्डियक अरेस्ट’ बताया जा रहा है। इससे 1 हफ्ते पहले वह कोरोना संक्रमण की चपेट आ गए थे। इसके बाद से ही ट्विटर पर रोहित सरदाना की दिवंगत आत्मा को शांति मिले ऐसी प्रार्थनाएं की जा रही है। #RohitSardana ट्विटर पर ट्रेंडिंग पर है। इसी कड़ी में केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने भी ट्वीट कर रोहित सरदाना की आत्मा को शांति मिले ऐसी प्रार्थना की है।
केंद्रीय मंत्री की तरह अन्य प्रसिद्ध चेहरों ने भी ऐसी ही प्रार्थनाओं करते हुए ट्वीट साझा किए हैं। किन्तु, इसी बीच हमारी नजर एक ऐसे ट्वीट पर पड़ी जिसमें जहर और घृणा के इलावा और कुछ नहीं दिख रहा था। वह ट्वीट था कट्टरवादी सोच और हिन्दुओं को गाली देने वाले तथाकथित एक्टिविस्ट शरजील उस्मानी का जिसने अपने ट्वीट में लिखा कि “मनोरोगी, विकृत असत्यभाषी और नरसंहार कराने वाला जो वह था, को पत्रकार के रूप में नहीं पहचाना जाना चाहिए।”
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इस ट्वीट के आने के बाद शरजील उस्मानी पर आलोचनाओं का अम्बार लग गया। उसे तरह-तरह से गालियां दी जा रहीं हैं। एक ट्विटर यूज़र ने उस्मानी को, मृत्यु पर घृणा फैलाने पर जम कर लताड़ा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा “तुम्हारे जैसे जाहिलों को तुम्हारा खुदा भी इंसान नहीं मानता होगा, गलती हो गई जो तुम्हें धरती पर भेज दिया। शर्म नहीं आती, किसी के देहांत पर इस तरह की घृणास्पद टिप्पणी करते हुए। बदतमीज कहीं के, तुम्हारी घटिया मानसिकता साफ झलक रही है।”
यह वही शरजील उस्मानी है जिसने एक कार्यक्रम में कहा था कि “हिन्दुस्तान में हिन्दु समाज सड़ चुका है।” शरजील उस्मानी जैसे एक्टिविस्ट का साथ दे रहे हैं लिब्रलधारी मीडिया के तथाकथित पत्रकार और एक्टिविस्ट जिन्हे यह लगता है कि दिवंगत पत्रकार रोहित सरदाना की मृत्यु कर्मा का खेल है क्योंकि उन्होंने किसान आंदोलन में रची जा रही खालिस्तानी षड्यंत्र का मुद्दा उठाया था।