चीन ने लिपुलेख के पास अपनी सेना की तैनाती बढ़ा दी है, जहां नई दिल्ली और काठमांडू के बीच तनाव बना हुआ है। लिपुलेख दर्रा (पास) भारत, नेपाल और चीन के बीच उत्तराखंड में कालापानी घाटी में स्थित है।
सूत्रों ने बताया कि चीन ने 150 लाइट कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती की है। बताया जा रहा है कि इस ब्रिगेड को दो सप्ताह पहले तिब्बत से चीन के लिपुलेख त्रि-जंक्शन की ओर तैनात किया गया है।
भारतीय अधिकारियों को दो हफ्ते पहले पता चला है कि सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर पाला में चीनी सैनिकों की तैनाती की गई है।
जुलाई में ही पाला के पास लगभग 1,000 सैनिक तैनात किए गए थे और चीन द्वारा वहां एक स्थायी चौकी भी बनाई गई थी। सूत्रों ने कहा, एक पखवाड़े पहले 2,000 से अधिक अतिरिक्त सैनिक तैनात किए गए थे।
लिपुलेख झील के लिए 17,000 फीट की ऊंचाई पर भारत द्वारा सड़क निर्माण किए जाने पर भारत और नेपाल के बीच तनाव पैदा हो गया है। इसका कारण यह है कि काठमांडू ने इस क्षेत्र को अपना इलाका होने का दावा किया है।
भारत द्वारा बनाई जा रही सड़क से कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा का समय कम हो जाएगा। नेपाल ने पिछले दिनों इस क्षेत्र को अपना बताते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र भी जारी किया था, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
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वहीं दूसरी ओर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन आमने-सामने हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले करीब तीन महीने से अधिक समय से तनाव बना हुआ है।
चीन ने एलएसी के ऐसे विभिन्न स्थानों पर यथास्थिति बदलने का प्रयास किया है, जो कि हमेशा से भारतीय क्षेत्र रहे हैं। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और चीन के साथ सभी स्तरों पर मामले को उठाया जा रहा है।
चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के तीन सेक्टरों – पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) में सैनिकों, तोपों और ब़ख्तरबंद गाड़ियों को भी तैनात किया है।
भारत और चीन के बीच सीमा तनाव को कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के बावजूद हल नहीं किया जा सका है। चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रतिबद्धता पर कोई अमल नहीं किया है। चीन की विस्तारवादी नीति और आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत ने भी अपने सशस्त्र बलों को सीमा पर पूरी तैयारी के साथ तैनात रहने के निर्देश दिए हैं।(IANS)