बिहार में एक बार फिर राजग सरकार पर नीतीश के लिए चुनौतियां अब अलग

इस बार राजग में जनता दल (युनाइटेड) नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी बड़े दल के रूप में उभरी है। इसके अलावा दो छोटे दल भी राजग में शामिल हैं।

Challenges for Nitish once again different in Bihar
नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (Wikimedia Commons)

By – मनोज पाठक

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार एक बार फिर बन गई है, लेकिन इस बार का दृश्य कुछ अलग है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन उपमुख्यमंत्री के रूप में सुशील कुमार मोदी नहीं होंगे।

भाजपा बड़े दल के रूप में उभरी

इस बार राजग में जनता दल (युनाइटेड) नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बड़े दल के रूप में उभरी है। इसके अलावा दो छोटे दल भी राजग में शामिल हैं। इस स्थिति में जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कोई बड़ा निर्णय लेने से पहले न सिर्फ सभी दलों के साथ सामंजस्य बनाना होगा बल्कि सभी दलों को विश्वास में भी लेना होगा।

उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार की पहचान राजनीति में बड़े निर्णय लेने वाले के रूप में होती है, ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश के लिए अब बड़े निर्णय स्वतंत्र रूप से लेना एक चुनौती होगी।

सुशील कुमार मोदी और नीतीश कुमार

जदयू के एक नेता भी मानते हैं कि भाजपा कोटे से उपमुख्यमंत्री के रूप में सुशील कुमार मोदी बनते रहे थे। उनके और नीतीश कुमार के बीच एक अच्छी समझदारी बन गई थी, जो सरकार चलाने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। इसके अलावा भी भाजपा नीतीश के किसी भी फैसले के पीछे खड़ी रहती थी, लेकिन इस सरकार में यह उतना आसान नहीं दिखता है।

वैसे भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने नई टीमों के ‘ओवर शैडो’ से मुक्त करने के लिए बड़े नेताओं को मंत्रिमंडल से हटाया है, हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि इन बड़े नेताओं को कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी।

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राजद आक्रामक मूड में रहेगा

इधर, भाजपा के लिए भी सरकार में बड़े दल के रूप में कई चुनौतियां हैं। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में आक्रामक चुनाव प्रचार कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) आक्रामक मूड में रहेगा, जिसमें वामपंथी दलों का भी साथ मिलेगा, जिससे निपटना भी सरकार की बड़ी चुनौती होगी।

भाजपा ने मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों की जगह नए चेहरों को तरजीह दे कर यह संकेत दे दिया है कि अब उनकी सोच नए पौधों को सींचने की होगी, लेकिन यह आसान नहीं दिखता है। नई टीम में अनुभव कम होगा, जबकि लोगों की आकांक्षा बड़ी होगी।

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भाजपा की चिंता बढ़ी हुई है

इस चुनाव में भाजपा को भोजपुर, मगध क्षेत्रों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिससे भाजपा की चिंता बढ़ी हुई है। इधर, भाजपा के लिए घोषणा पत्रों को लागू करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं इस सरकार में चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार बिहार को आत्मनिर्भर बनाने की ओर चलेगी। (आईएएनएस)

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