तीन हफ्ते तक चली सुनवाई के बाद अमेरिकी मिनेसोटा (American Minnesota) राज्य की हेनेपिन जिला अदालत ने 20 अप्रैल को अश्वेत युवा जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की हत्या के मामले में फैसला सुनाया कि श्वेत पुलिसकर्मी डेरेक शौविन पर लगाए गए तीन अपरोधों की पुष्टि की गई है। लेकिन अधिकतर लोगों के विचार में इस सुनवाई से सिर्फ शौविन के अपराध की पुष्टि हुई है, लेकिन अमेरिकी अश्वेत समुदाय को न्याय मिलना मुश्किल है। कई सदियों की अत्याचार व्यवस्था में नस्लभेद अमेरिकी समाज में गहराई से जमा हुआ है, जिसे एक अदालती सुनवाई से खत्म नहीं किया जा सकता। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तीन हफ्ते तक शौविन मामले की सुनवाई के दौरान अमेरिकी पुलिस ने लगभग हर दिन तीन से अधिक व्यक्तियों को मार डाला, जिनमें से आधे से अधिक अश्वेत थे। दुख की बात है कि शौविन के अपराध की पुष्टि के कुछ घंटे बाद ओहाओ स्टेट में एक 15 वर्षीय अश्वेत लड़की पुलिस की गोली से मारी गई।
वास्तव में अमेरिकी न्याय व्यवस्था लंबे समय से पुलिस के बल-प्रयोग के दुरुपयोग से आंख मूंदती रही है। इसलिए अमेरिका में अगर कोई पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान किसी को मार डालता है, तो उस पर बहुत ही कम मुकदमा चलाया जाता है और अपराध तय करना तो दुर्लभ बात है।
इतिहास पर नजर डालें तो श्वेत आधिपत्य अमेरिकी सामाजिक ढांचे का एक भाग है, जो नस्लभेद (Racism) की जड़ है। अमेरिका में उक्त व्यवस्था में व्यापक सुधार करने से ही अश्वेत समुदाय को अधिक सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी, वरना तथाकथित मानवाधिकार व समानता सिर्फ खोखला नारा बनकर रह जाएगा।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा था कि व्यवस्थित नस्लभेद अमेरिकी आत्मा में कलंक जैसा है। एक ही सुनवाई से उसे दूर नहीं किया जा सकता। अमेरिकी अश्वेत समुदाय को न्याय पाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।(आईएएनएस-SM)