बिहार : राजगीर का ‘ग्लास स्काईवॉक ब्रिज’, हवा पर चलने का फील ले सकेंगे पर्यटक

अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बिहार के राजगीर में आमतौर पर नवंबर-दिसंबर के महीने में पर्यटकों की संख्या तो बढ़ती है, लेकिन उनका यहां ठहराव नहीं हो पाता है। अब पर्यटकों को आकर्षित करने तथा उनका ठहराव हो सके इसके लिए राजगीर में कई पर्यटक स्पॉट विकसित किये जा रहे हैं।

SKY WALK BRIDGE
राजगीर का स्काईवॉक ब्रिज । ( Social media )

By : मनोज पाठक

अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बिहार के राजगीर में आमतौर पर नवंबर-दिसंबर के महीने में पर्यटकों की संख्या तो बढ़ती है, लेकिन उनका यहां ठहराव नहीं हो पाता है। अब पर्यटकों को आकर्षित करने तथा उनका ठहराव हो सके इसके लिए राजगीर में कई पर्यटक स्पॉट विकसित किये जा रहे हैं। इसी में से एक है घने वन क्षेत्र में बनाया जा रहा नेचर सफारी ,जहां ‘ग्लास स्काई वॉक ब्रिज’ भी बनाया गया है।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि लगभग 500 एकड़ वन क्षेत्र में फैले इस सफारी का मुख्य द्वार काफी आकर्षक बनाया गया है। मुख्य प्रवेश द्वारा के समीप ही ग्लास स्काई वॉक ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है, जो पूरी तरह से शीशा व स्टील के फ्रेम से निर्मित है। उन्होंने बताया कि इस स्काई वॉक की कुल लम्बाई 85 फीट व चैडाई करीब 6 फीट है। घाटी से इसकी ऊंचाई करीब 250 फीट है। इसपर एक साथ 40 लोग जा सकेंगे, हालांकि डी सेक्टर यानी अंतिम छोर पर एक साथ 10 से 12 लोग ही जा सकेंगे।

कितने शिशो का हुआ इस्तेमाल ?

राजगीर के अति प्राचीन वैभार गिरी पर्वत के तलहटी में बनाए गए इस पुल में 15 एमएम के तीन लेयर के शीशे लगाए गए है। इसमें लगे शीशे की कुल मोटाई 45 एमएम है, जो पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसके कारण इसपर चलना काफी रोमांचकारी भी होगा।

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देश का दूसरा ग्लास स्काईवॉक ब्रिज

बताया जा रहा है कि इसपर चलने वाले लोग स्वयं को हवा में तैरता हुआ महसूस कर सकेगें। इसे नए साल के मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। वैसे, अधिकारियों के मुताबिक इस पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। फिलहाल अंतिम चरण में सीढ़ी व अन्य पाथ और चबूतरे का निर्माण कार्य अभी जारी है।अधिकरियों का दावा है कि यह पुल चीन के हेबई प्रांत के एस्ट तैहांग में बने स्काई वॉक ब्रिज की तर्ज पर बनाया जा रहा है। राजगीर का यह स्काई वॉक बिहार का पहला और देश का दूसरा ऐसा पुल होगा।

अंतराष्ट्रीय पर्यटक के लिए मुख्य स्थान बनेगा स्काईवॉक ब्रिज । ( Wikimedia commons )

अधिकारियों के मुताबिक, इसके साथ ही यहां आने वाले पर्यटक जिप लाईन, एडवेंचर स्पॉट के तहत आर्चरी, तीरंदाजी, साईकलिंग, ट्रेकिंग पाथ, मड और ट्री कॉटेज, वुडेन हट, औषधीय पार्क का भी आनंद ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी का निर्माण कार्य यहां चल रहा है। नालंदा जिले के राजगीर से गया जिला के जेठीयन मार्ग जाने बाले मार्ग में घने जंगल के बीच इसका निर्माण कराया जा रहा है। जरासंध अखाड़ा से इसकी दूरी लगभग 8 किलोमीटर है।

नेचर सफारी में मिट्टी और भूसे से मड कॉटेज का निर्माण किया जा रहा है। जहां लोग प्रकृति के बीच प्राकृतिक घर में रहने का आनंद महसूस कर सकें गे। अधिकारियों ने बताया कि यहां प्राचीन काल में वृक्षों पर लोगों के घर बनाकर रहने का अनुभव आज के युग में देने के लिए ट्री कॉटेज का निर्माण कराया गया है। इस कॉटेज में बेड से लेकर बाथरूम तक उपलब्ध है। बहरहाल, वन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि इन सभी के निर्माणकार्यों के पूरा होने के बाद ना केवल यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि पर्यटक यहां आकर कई दिन गुजारेंगे। (आईएएनएस)

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