हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। देवों के देव महादेव ब्रह्मांड के पांच तत्वों पृथ्वी, जल,अग्नि, वायु और आकाश के स्वामी हैं। इन्हीं पंचतत्वों के रूप में दक्षिण भारत में भगवान शिव को समर्पित पांच मंदिरों की स्थापना की गई है। इन्हें संयुक्त रूप से पंच महाभूत स्थल कहा जाता है और इन्हीं पंच भूत स्थलों में से एक है तमिलनाडु में तिरुवन्नामलाई में अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित विश्व भर में भगवान शिव को समर्पित अरुणाचलेश्वर मंदिर (Arunachaleshwar Temple)। इसे अग्नि क्षेत्रम के रूप में भी जाना जाता है।
मंदिर से जुड़ा इतिहास क्या कहता है?
युगों पुराने इस मंदिर की स्थापना की सही तारीख को लेकर कई मतभेद देखने को मिलते हैं। लेकिन पुरातत्वविदों द्वारा लगाया गए अनुमान के मुताबिक इस भव्य मंदिर का निर्माण 7 वीं शताब्दी में हुआ था। जिसका विस्तार आगे चलकर चोल साम्राज्य (Chol Dynasty) के राजाओं द्वारा कराया गया था। इसके अतिरिक्त इस मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास तमिल ग्रंथ थेवरम और थिरुवसागम में देखने को मिलता है।
इस मंदिर के विषय में अलग – अलग पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं। पहली मान्यता यह है कि तिरुवन्नामलाई वह स्थल है जहां भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था। जिसके बाद उसी स्थान पर अरुणाचलेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया था। यहां स्थापित लिंगोत्भव नामक मूर्ति में भगवान शिव को अग्नि रूप में, विष्णु जी को वाराह के रूप में और ब्रह्मा जी को हंस के रूप में दिखाया गया है।
दूसरी मान्यता यह है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उन्हें अपने नेत्र बंद करने के लिए कहा था। जिसके बाद भगवान शिव ने अपने नेत्र बंद कर लिए। लेकिन इसके कारण सम्पूर्ण ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था। और इस अंधकार को दूर करने के लिए भगवान शिव के भक्तों ने कठोर तपस्या की। जिसके बाद भगवान शिव अन्नामलाई की पहाड़ी पर एक अग्नि स्तंभ के रूप में दिखाई दिए। इसलिए यहां स्थापित शिवलिंग को अग्नि लिंगम कहा जाता है।
भगवान शिव (Shiv) को समर्पित यह अरुणाचलेश्वर मंदिर विश्व भर में सबसे बड़ा मंदिर है। तिरुवन्नामलाई पहाड़ियों के तलहटी में 24 एकड़ में फैला यह मंदिर एक अद्भुत वास्तुकला का प्रतीक है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त 5 अन्य मंदिरों का भी निर्माण किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में 3 फुट ऊंचा शिवलिंग विराजमान है। इस मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं। जहां चार बड़े गोपुरम बनाए गए हैं। यहां के सबसे बड़े गोपुरम को “राज गोपुरा” कहा जाता है और यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रवेश द्वार है।
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अरुणाचलेश्वर मंदिर और भगवान शिव का प्रमुख त्यौहार कार्तिक पूर्णिमा है। इसे कार्तिक दीपम भी कहते हैं। इस भव्य त्यौहार पर विशाल दीपदान किया जाता है। इस मौके पर यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में नंगे पांव जाने से व्यक्ति अपने पापों से छुटकारा पाकर मुक्ति पा सकता है। अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित यह सदियों पुराना मंदिर आज भी अपनी भव्यता लिए विराजमान है।