हिन्दू विरोधियों को नहीं मिली सत्ता की कुर्सी!

तृणमूल कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्ता में आ गई है। "खेला होबे" से "खेला समाप्त" हुआ लेकिन इस दौरान कई लोगों को हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा है।

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चुनावी नतीजों के बाद बंगाल की कुर्सी का खेल तो समाप्त हो गया है। (NewsGram Hindi)

पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (TMC) लगातार तीसरी बार सत्ता में आ गई है। 213 सीटों के साथ TMC ने फिर एक बार अपनी पैठ को मजबूत बना लिया है। चुनावी नतीजों के बाद बंगाल की कुर्सी का खेल तो समाप्त हो गया है। लेकिन ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को अपनी ही सीट से मुंह की खानी पड़ी है। यानी नंदीग्राम की सीट पर बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी ने जीत हासिल की है। “खेला होबे” से “खेला समाप्त” हुआ लेकिन इस दौरान कई लोगों को हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा है। कुछ ऐसे नेताओं को भी हार मिली है जो सियासी खेल में मशगूल हो अपने आप को सेक्युलर धारी साबित करने से पीछे नहीं हटते। जिस वजह से उनकी जुबान से निकलते कुछ शब्द चर्चा का विषय बन जाते हैं। 

यूं तो टीएमसी ने पश्चिम बंगाल(West Bengal) में अपना परचम लहराया है। लेकिन टीएमसी की ही सुजाता खान जिन्हें आरामबाग से उम्मीदवार बनाया गया था। 7172 मतों से हार मिली है। उम्मीदवार बनी सुजाता खान ने, दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, अनुसूचित जाति के लोग भिखारी होते हैं। सवाल यही उठता है ‘जनता की सेवा या कुर्सी की ऐश’ ? लेकिन इन्हें हार मिली जिसके बाद बीजेपी के कई दफ्तरों को आग लगा दिया गया।

इसी क्रम में सबसे पहले बंगाल (Bengal) की सायोनी घोष (saayoni ghosh) जो एक बंगाली अभिनेत्री भी हैं। जिन्हें टीएमसी (TMC) ने आसनसोल दक्षिण से उम्मीदवार बनाया गया था। वहां से इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है। कुल 4487 वोटों से हार मिली है। अभी हाल – फिलहाल में इन्होंने हिन्दू धर्म को आहत करने वाली एक अभद्र तस्वीर शेयर की थी। जिसमें इन्होंने भगवान शिव का मजाक बनाया था। उनके शिवलिंग पर कंडोम चढ़ाया था। जिसके तहत इन पर FIR भी दर्ज की गई थी। 

केरल की बात करें तो वहां कांटे की टक्कर चल रही थी। कांग्रेस के बिंदु कृष्णा और सीपीआई के एम मुकेश के बिच। जहां 58,524 वोटों से मुकेश विजयी रहे थे। कांग्रेस यूं तो जीत के लिए कुछ भी पैंतरे अपनाती है। लेकिन ‘बीफ फेस्टिवल’ का आयोजन एक अत्यंत निंदनीय कृत है। कांग्रेस के इन्हीं बिंदु कृष्णा ने ‘बीफ फेस्टिवल’ का आयोजन किया था। बीफ का तो पता नहीं हार का स्वाद अवश्य चख लिया इन्होंने। 

इसी सूची में एक नाम भाजपा के नेता बनेन्द्र कुमार मुशहरी का भी है। जिन्होंने कहा था कि, बीफ भारत का एक राष्ट्रीय भोजन है। भले ही राज्य में उनकी पार्टी ने सत्ता हासिल की हो लेकिन असम के गौरीपुर से उम्मीदवार बने बनेन्द्र कुमार मुशहरी को हार का सामना करना पड़ा है। 

इसी क्रम में बंगाल (Bengal) की सायोनी घोष (saayoni ghosh) जो एक बंगाली अभिनेत्री भी हैं। जिन्हें टीएमसी (TMC) ने आसनसोल दक्षिण से उम्मीदवार बनाया गया था। वहां से इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है। कुल 4487 वोटों से हार मिली है। अभी हाल – फिलहाल में इन्होंने हिन्दू धर्म को आहत करने वाली एक अभद्र तस्वीर शेयर की थी। जिसमें इन्होंने भगवान शिव का मजाक बनाया था। उनके शिवलिंग पर कंडोम चढ़ाया था। जिसके तहत इन पर FIR भी दर्ज की गई थी। 

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सभी उम्मीदवार जीतने के लिए अक्सर कई पैंतरे अपनाते हैं।  रैलियां, भाषण अलग – अलग सियासी खेल खेलते नजर आते हैं। लेकिन इस बीच कुछ उम्मीदवार सेक्युलरिज्म का गन्दा उदाहरण पेश करने से पीछे नहीं हटते। हिन्दू धर्म विरोधी का सबूत पेश करना उनके लिए जरूरी हो जाता है। इन जैसे सेक्युलर धारी लोगों का जनता से कोई लेना देना नहीं होता। सत्ता हासिल कर ये लोग केवल अपना मकसद पूरा करते हैं। 

ये सत्ता का घमासान युद्ध तो आगे भी देखने को मिलेगा और आगे भी जनता ऐसे लोगों को हार की धूल चटाती रहेगी। 

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