आदि शंकराचार्य जी ने कहा था कि “ज्ञान ही मुक्ति का कारण है।” अर्थात अपने ज्ञान को बढ़ाकर हमें प्रगति के पथ पर चलना चाहिए।
आज हिन्दू दार्शनिक और धर्म गुरु आदि शंकराचार्य जी की जयंती है। उनकी जयंती पर हम उन्हें कोटी – कोटी नमन करते हैं। जिस दौरान भारत भूमि पर सनातन धर्म क्षीण हो रहा था। उस समय शंकराचार्य जी ने सनातन धर्म को पुनर्स्थापित करने का बेड़ा उठाया था। वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन जन्मे आदि शंकराचार्य जी ने हिन्दू धर्म को सफलतापूर्वक पुनर्स्थापित किया था।
जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 ई ० में केरल के मालाबार तट के निकट एक छोटे से गांव में हुआ था। माना जाता है कि, शंकराचार्य जी साक्षात भगवान शिव के अवतार थे, जिन्होंने मात्र 8 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया था और 32 वर्ष की उम्र में मोक्ष को प्राप्त कर लिया था।
शंकराचार्य जी को, सनातन धर्म का प्राणधार भी कहा जाता है। उन्होंने भारत के पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया था।
शंकराचार्य जी जन्म से ही अलग प्रवृत्ति के थे। जो कुछ सुनते या पढ़ते थे उस मस्तिष्क में संचित कर लेते थे। शंकराचार्य जी ने सभी वेदों, उपनिषदों का ज्ञान अल्पायु में ही प्राप्त कर लिया था। समय के साथ उनका ज्ञान बढ़ता गया और उन्होंने अपने उपदेशों, रचनाओं के माध्यम से देश में अलग – अलग मठों की स्थापना की। अपने ज्ञान से उन्होंने समाज को सही दिशा दिखाने के लिए कई धार्मिक ग्रंथ भी लिखे थे। शंकराचार्य जी ने भारत के चार कोनों पर चार मठों की स्थापना की थी। पूर्व दिशा में जगन्नाथ पूरी में गोवर्धन मठ, पश्चिम दिशा में द्वारिका में शारदा मठ की स्थापना की थी। उत्तर दिशा में बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी और दक्षिण में में श्रृंगेरी मठ की स्थापना की थी। देश के चार कोनों में शक्ति मठ की स्थापना करके उन्होंने सनातन धर्म के बारे में लोगों को अवगत कराया था।
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शंकराचार्य जी ने अपने मूल्यवान विचारों से न केवल भारत में लोगों को अपने ज्ञान से सही मार्ग दिखाया, बल्कि विश्व भर में उन्होंने सभी को हिन्दू धर्म का महत्व बताया। हिन्दू धर्म से अवगत कराया। इस वजह से उनकी जयंती को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस प्रकार भारत राष्ट्र के एकीकरण का काम जो आदि शंकराचार्य जी ने किया था। वह अद्भुत था। उनका चमत्कार ही था कि, उनके ज्ञान और उपदेशों को आज भी सारा संसार जनता है।