विश्व हिंदू परिषद (विहिप) मुख्यालय में रविवार को अशोक सिंहल को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने कहा कि सिंहल श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के प्राण थे। कुमार ने कहा, “उन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को झकझोर कर जगाया, संगठित किया तथा एक मजबूत संघर्ष का नेतृत्व किया। वे संतों में भी आदरणीय थे। श्रीराम जन्मभूमि पर जो मंदिर एक राष्ट्र मंदिर के रूप में बन रहा है, उसकी नींव की ईंट के रूप में उन्हें सदैव स्मरण किया जाएगा।”
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अपने उद्बोधन में विहिप उपाध्यक्ष तथा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासिचव चम्पत राय ने कहा, “यूं तो अशोक जी पूज्य रज्जू भैया के संपर्क द्वारा 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बनते ही समाज जीवन में उतर चुके थे, लेकिन उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ 1981 के वोट क्लब दिल्ली की ‘विराट हिंदू समाज’ नामक विशाल आयोजन के बाद आया। 1982 में संयुक्त महामंत्री के रूप में विहिप में पदार्पण के साथ ही उन्होंने देशभर में एकात्मता यात्राओं के माध्यम से हिंदू समाज का जागरण शुरू किया और उसके बाद श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का सूत्रपात किया।(आईएएनएस)