डार्विन प्लेटफॉर्म ग्रुप और हैदराबाद स्थित वोक्ससेन विश्वविद्यालय ने सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए आणविक नैनो प्रौद्योगिकी पर आधारित स्वदेशी रूप से विकसित सैन्य उपकरण विकसित किए हैं। डार्विन प्लेटफॉर्म ग्रुप ऑफ कंपनीज (डीपीजीसी) ने शनिवार को घोषणा की कि वह सैन्य और वैज्ञानिक प्रगति कर रहा है। कंपनी ने आणविक नैनो प्रौद्योगिकी (एमएनटी) पर आधारित स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित सैन्य उपकरणों के प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए, डीपीजीसी ने इन प्रोटोटाइपों को डिजाइन और विकसित करने के लिए वोक्सन विश्वविद्यालय, हैदराबाद में रोबोटिक्स लैब के साथ भागीदारी की। परियोजना के तहत, कंपनी तीन एमएनटी-आधारित उपकरण- सैन्य जैकेट, हथियार और गोला-बारूद और लेजर-गाइडेड मुनिशन और लेजर गाइडेड बम के खिलाफ मार्गदर्शन प्रदान करने की योजना बना रही है।
समूह के सीईओ राजा रॉय चौधरी ने कहा, ये वैज्ञानिक और सैन्य प्रगति डीपीजीसी के सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ प्रतिध्वनित होने के उद्देश्य का हिस्सा होगी। एमएनटी में अनुसंधान का नेतृत्व भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, इस पथ-प्रदर्शक पहल के माध्यम से हम अपने सैनिकों को नए जमाने के सैन्य उपकरण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखते हैं, ताकि वे अपनी सुरक्षा से समझौता किए बिना हमारी सीमाओं की मजबूती से रक्षा कर सकें।
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आणविक नैनो प्रौद्योगिकी एक वैज्ञानिक प्रगति है जहां डुप्लिकेट बनाए जाते हैं जो मूल प्रति से छोटे, अधिक कार्यात्मक, हल्के और सस्ते होते हैं। इस प्रकार की तकनीक में प्रमुख सैन्य अनुप्रयोग हो सकते हैं। चौधरी ने कहा, उन्नत विश्लेषणात्मक प्रणालियों के विकास के लिए, हमने वोक्सन विश्वविद्यालय, हैदराबाद में रोबोटिक्स लैब के साथ सहयोग किया है। इन प्रणालियों को व्यावसायिक उपयोग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और आरपीए सॉफ्टवेयर का उपयोग करके बनाया जाएगा। वोक्सन विश्वविद्यालय डीपीजीसी द्वारा विकसित किए जा रहे प्रोटोटाइप के अनुसंधान एवं विकास में भी सहायता करेगा।(आईएएनएस-SHM)
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