हाल ही में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanam) ने रामनवमी के समारोह पर घोषणा की, कि भगवान हनुमान जी का जन्म आंध्र प्रदेश (Andhra Pardesh) में हुआ था। टीटीडी जो भगवान हनुमान (Hanuman) जी के मंदिर तिरुमाला पहाड़ियों को नियंत्रित करता है। यह बताता है कि यह तथ्य वैदिक विद्वानों, इतिहासकारों, हिन्दू धार्मिक नेताओं के विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा गहन अध्ययन पर आधारित है।
टीटीडी (TTD) यह दावा करता है कि, तिरुपति में शेश्चलम की सात पहाड़ियों में से एक अंजनद्री (Anjanadri) पहाड़ी भगवान हनुमान जी का जन्म स्थान है। चार महीने के लंबे अध्ययन के निष्कर्षों के बाद , राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सरमा ने कहा कि, इस अध्ययन ने स्थापित किया है कि, भगवान राम के परम भक्त महावीर हनुमान अंजनद्री की पहाड़ियों में पैदा हुए थे। सरमा ने कहा कि, उनके निष्कर्ष पौराणिक साक्ष्य और भौगोलिक संदर्भों में मौजूद जानकारियों से प्राप्त हुए हैं। सरमा ने कहा कि, 12 पुराणों से सबूत एकत्र किए गए थे। उन्होंने यह भी समझाया कि, कर्नाटक (Karnataka) में हंपी हनुमान जी का जन्म स्थान नहीं है। जैसा कि लंबे समय से यह दावा किया जा रहा है। हम्पी प्राचीन समय का किष्किंधा है। जबकि वेंकटचलम, अंजनद्री है। जब सुग्रीव, हनुमान को अंजनद्री से वानर लाने को कहते हैं तो उनकी बातचीत से यह स्पष्ट हो जाता है। इसी प्रकार कंबा के रामायणम और अन्नाम चार्य की रचनाओं के छंदों से साहित्यिक साक्ष्य मिलें हैं। जबकि एपीग्राफिक साक्ष्य 12वीं और 13वीं शताब्दी के शिलालेख से प्राप्त हुए हैं।
इसके अलावा कार्यकारी अधिकारियों ने वैदिक विद्वानों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने भौगोलिक मान्यता के लिए स्कंद पुराण की ओर रुख किया, जहां ऋषि मतंग हनुमान जी की माता अंजनी देवी से कहते हैं कि, वेंकटचलम स्वर्णमुखी नदी के उत्तर में है और आंध्र प्रदेश के वर्तमान कुरनूल जिले में अहोबिलम से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पैनल ने देश भर के उन सभी स्थानों का भी अध्ययन किया, जहां यह माना जाता है कि, भगवान हनुमान जी का जन्म यहां हुआ था। सभी साक्ष्यों को देखने, पढ़ने और समझने के बाद यह मत सामने निकल के आया कि, भगवान हनुमान जी का जन्म अंजनद्री (Anjanadri) की पहाड़ियों में हुआ था। सभी उपलब्ध साक्ष्य अंजनद्री पहाड़ी का समर्थन करते हैं।
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टीटीडी समिति में, श्री वेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालय के वीसी आचार्य सन्निधानम सुधाकर सरमा, आचार्य रानी सदाशिव मूर्ति, आचार्य जन्मादि रामकृष्ण, इसरो वैज्ञानिक रेमेला मूर्ति, आचार्य मुरलीधर सरमा और आंध्र प्रदेश पुरातत्व विभाग के उप निदेशक विजय कुमार शामिल थे| टीटीडी एसवी विश्वविद्यालय की वेदाध्ययन परियोजना की प्रमुख अकीला विभेष्ण सरमा समिति की संयोजक थीं|