डब्लूएचओ : वैश्विक महामारी को खत्म करने के लिए कोई ‘स्वर्णिम समाधान’ न होने पर चिंता जताई।

विश्व स्वास्थ संगठन (डब्लूएचओ) के उच्च अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 टीके का असमान वितरण 'भयंकर नैतिक असफलता' और एक असफल अवसर था।

 विश्व स्वास्थ संगठन (डब्लूएचओ) (WHO) के उच्च अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 (covid-19) टीके का असमान वितरण ‘भयंकर नैतिक असफलता’ और एक असफल अवसर था। यूरोप (Europe) में पिछले सप्ताह कोविड मामलों में 12 प्रतिशत से ज्यादा हुई बढ़ोतरी को लेकर सोमवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डब्लूएचओ के कार्यकारी निदेशक माइकल रायन (Michael ryan) ने वैश्विक महामारी को खत्म करने के लिए कोई ‘स्वर्णिम समाधान’ न होने पर चिंता जताई।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की खबर के मुताबिक, रायन ने कहा कि कई देशों ने ‘पर्याप्त टीके लेने’ और ‘ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके दिलवाने’ की रणनीति अपनाई है, यह मानकर कि इससे महामारी खत्म हो जाएगी।

उन्होंने कहा, “माफ कीजिए, ऐसा बिल्कुल नहीं है, दुनिया में पर्याप्त टीके नहीं हैं और जो हैं वो बहुत ही पक्षपाती तरीके से वितरित किए जा रहे हैं। असल में, हमने टीके को महामारी से बचने के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल करने का अवसर गंवा दिया है।”

रायन ने कहा कि यह सिर्फ भयानक नैतिक असफलता ही नहीं, बल्कि महामारी विज्ञान की भी असफलता है।

वैश्विक संक्रमणों में पिछले सप्ताह से वृद्धि आई है। दक्षिण एशिया (South asia) में कई देशों में मामले बढ़े हैं जो 49 प्रतिशत ज्यादा है, इनमें से भारत (India) में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं।

कोविड-19 (covid-19) टीके का असमान वितरण ‘भयंकर नैतिक असफलता’ और एक असफल अवसर था। (Unsplash)

दूसरा हॉटस्पॉट पश्चिमी प्रशांत है, जहां फिलीपिंस (philippines) और पापुआ न्यू गिनी में सबसे ज्यादा मामले हैं, जिसके कारण संक्रमण में 29 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डब्लूएचओ महानिदेशक ट्रेडोस एडैनोम घेब्रेयसस (Trados Adenom Ghebreyus) ने कहा कि अमीर और गरीब देशों में टीके की उपलब्धता का अंतर हर दिन बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने कहा, “जनवरी में मैंने कहा था कि अगर टीके के समान वितरण को सुनिश्चित किए जाने के लिए उचित और ठोस कदम नहीं उठाए गए तो विश्व भयानक नैतिक असफलता की कगार पर होगा। हमारे पास इस असफलता को रोकने के उपाय भी थे, लेकिन आश्चर्य की बात है कि उस पर अमल करने की दिशा में कोई भी कार्य नहीं किया गया।”

“विश्व के गरीब देश भी सोच रहे हैं कि एकता की बात करने वाले अमीर देश क्या उसका मतलब समझते हैं.. कुछ देश अपनी पूरी अबादी को टीके लगाने की फिराक में हैं तो कुछ देशों के पास टीके ही नहीं हैं। यह कुछ समय के लिए सुरक्षित हो सकता है, लेकिन यह सुरक्षा की गलत भावना है।”

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उन्होंने ज्यादा कमाई वाले देशों से अपील की कि वह डब्लूएचओ (WHO) और साझेदारों द्वारा चलाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय टीका अभियान, कोवैक्स के तहत जरूरतमंद देशों के साथ टीका साझा करें। उन्होंने निर्माताओं से टीके का उत्पादन बढ़ाने और समान वितरण करने की अपील भी की। (आईएएनएस-SM)

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