दिवंगत संगीतकार वाजिद अली खान की पत्नी कमलरुख खान ने 27 नवंबर को ट्विटर पर एक पोस्ट डाला था। जिसमें उन्होंने अपने ससुराल वालों की तरफ से धर्म परिवर्तन के लिए दिए जा रहे मानसिक तनाव के बारे में पहली बार चुप्पी तोड़ी। जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। लोगों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ लोग उनके इस पोस्ट को इस्लाम धर्म से जोड़ने लगे। क्या सच में कमलरुख खान का यह पोस्ट इस्लाम विरोधी है ? इस सवाल पर जाने से पहले मैं इस लेख की तख़्त पर कुछ और सवाल अंकित करना चाहूंगा।
क्या पढ़ी लिखी स्वतंत्र सोच वाली महिला को हमारा समाज स्वीकार नहीं कर सकता? क्या एक माँ की ममता भी किसी धर्म की मोहताज है? क्या एक पत्नी का प्रेम किसी धर्म का सिपाही है?
कुछ ऐसे ही सवाल निकल कर आएंगे जब आप दिवंगत संगीतकार वाजिद अली खान की पत्नी कमलरुख खान पर हो रहे अधर्म के बारे में जानेंगे। इस अधर्म को धर्म की आड़ में किया जा रहा है। कमलरुख खान ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए कहा है कि –
“मैं वास्तव में चाहती हूँ कि धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-conversion law) का राष्ट्रीयकरण हो, तभी जा कर मेरे जैसी अंतरजातीय विवाह (Inter-caste Marriage) में धर्म के जहरीलेपन से लड़ रही महिलाओं के लिए संघर्ष कम होगा।”
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कहने को तो यह पहली महिला नहीं जिन पर इस तरह धर्म परिवर्तन के लिए ज़ोर दिया जा रहा है और ना ही अंतिम होंगीं।
ना जाने कितने इस अत्याचार को खामोशी के लिबास में ढक कर बैठे होंगे, पर जिन्होंने अपनी बात रखने की हिम्मत दिखाई है, क्यों ना उन्हीं की वेदना को समझते हुए धर्म जाल से गुज़रा जाए।
सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल कर अपनी सालों की चुप्पी तोड़ने के बाद कमलरुख खान ने टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India) द्वारा लिए गए साक्षात्कार में अपनी शादी के भयावह 17 सालों पर रौशनी डाली। उनका कहना है कि अपने बच्चों की खातिर उन्होंने आज बोलने की ज़रूरत महसूस की है।
“वाजिद और मैं कॉलेज स्वीटहार्ट थे”
कमलरुख खान ने बताया कि वाजिद खान से उनकी मुलाक़ात कॉलेज के दिनों में हुई थी। शादी से पहले यह दोनों 10 सालों तक रिलेशनशिप में रहे। वाजिद खान उस समय बप्पी दा के साथ काम किया करते थे। म्यूजिक शो के लिए उन्हें कई बार देश से बाहर जाना पड़ता था। इस बीच वाजिद खान और कमलरुख खान के बीच खतों के ज़रिये बातें हुआ करती थीं।
जब यह दोनों प्रेमी शादी के लिए राज़ी हुए तो इनके सामने इनका धर्म आकर खड़ा हो गया। वाजिद खान का परिवार चाहता था कि कमलरुख अपने पारसी धर्म को छोड़ कर इस्लाम कबूल लें। यह धर्म परिवर्तन कमलरुख को मंज़ूर नहीं था। कुछ महीनो चिंतन करने के बाद, यह दोनों स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriages Act) के तहत शादी के बन्धन में बंध गए। कमलरुख के परिवार वालों ने दूसरे धर्म में शादी करने के उनके फैसले पर नाराज़गी ज़रूर जताई पर बाद में उन्होंने ही दोनों धर्मों का सम्मान करते हुए, शादी को पारसी और इस्लामिक तरीके से पूरा करने की सलाह भी दी। इस सलाह पर वाजिद खान के परिवार वाले राज़ी नहीं हुए। इसके बावजूद वाजिद खान को कमलरुख खान के धर्म से कोई आपत्ति नहीं थी। इसलिए इनका प्रेम, इनके धर्म पर हावी रहा।
“उनके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट का कोई मतलब नहीं था”
शादी के शुरूआती कुछ महीने तो अच्छे गुज़रे पर कुछ समय बाद वाजिद के परिवार, विशेषकर उनकी माँ ने कमलरुख पर धर्म परिवर्तन के लिए अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डालना शुरू कर दिया। इस बात को आगे बढ़ाते हुए कमलरुख ने कहा कि, “वाजिद का परिवार इस बात पर जोर देता रहा कि हमारे बच्चे नाजायज हैं क्योंकि हमारी शादी मुस्लिम कानून के अनुसार नहीं हुई। उनके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट का कोई मतलब नहीं था।”
कमलरुख के अनुसार वाजिद की माँ और उनके परिवार वाले सदा ही उनसे बुरा व्यवहार रखते थे। बच्चों के पैदा होने के बाद यह व्यवहार कमलरुख के लिए और तकलीफ़देह होता गया। धर्म परिवर्तन के लिए अलग अलग तरीकों से ज़ोर दिया जाने लगा। वाजिद की माँ ने कई बार उन्हें अपनी पत्नी कमलरुख को समझाने को कहा ताकि कमलरुख अपना पारसी धर्म त्याग दें। नतीजा यह हुआ कि समय के साथ वाजिद और कमलरुख के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि वाजिद खान अपनी पत्नी को छोड़ कर घर से बाहर निकल गए। उस समय उनकी बेटी अर्शी लगभग 2.5 – 3 साल की थी। वो सालों बाद लौट कर आए। फिर उनका एक बेटा भी हुआ। पर यह घर छोड़ने और आने का सिलसिला 2014 तक चलता रहा। इसी के बाद अपनी माँ के दबाव में आकर उन्होंने तलाक के लिए अर्जी डाल दी।
अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए – Kamalrukh Wife Of Late Wajid Khan Appeals For Anti-Conversion Bill To Be Applied In Nation
“जब उन्होंने अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी, तो मैं बहुत निराश हुई। हालाँकि, अपने बच्चों की खातिर मैं उनके साथ बेहद मैत्रीपूर्ण संबंध रखने का प्रयास करती रही।” – कमलरुख ने कहा।
कमलरुख का कहना है कि वाजिद खान को उनके धर्म से कोई समस्या नहीं थी। मात्र अपनी माँ के दबाव में आने की वजह से ही वो एक पति और पिता धर्म के पथ से भटक गए थे।
कमलरुख ने सोशल मीडिया पर डाले अपने पोस्ट में कहा है कि धर्म विभिन्नताओं का जश्न होना चाहिए ना की किसी परिवार के अलग होने का कारण। हर धर्म परमात्मा की ओर एक रास्ता है। जियो और जीने दो; इस धर्म का हम सभी को अभ्यास करना चाहिए।
कमलरुख खान ने 27 नवंबर को ट्विटर पर पोस्ट डाल कर अपनी बात कही, उसके बाद उन्होंने यही पोस्ट इंस्टाग्राम पर भी डाला।
जैसे ही यह बात सोशल मीडिया की नज़र में आई, लोगों ने इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। कुछ लोगों ने कमलरुख की हिम्मत को सराहा, कुछ ने धर्म परिवर्तन की दिशा में अपने अनुभव भी साझा किए, कुछ लोगों ने इसे Inter-Faith marriage घोषित किया। मगर एक चीज़ जो निकल कर आती है कि, कुछ लोग कमलरुख खान के इस पोस्ट को मानवता से परे कर इस्लाम विरोधी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कमलरुख ने कमेंट सेक्शन में कई बार इस ओर अपना स्प्ष्टीकरण देते हुए कहा कि –
“मैं अपने पोस्ट को इस्लाम विरोधी या और किसी भी धर्म के विरोध में रखना नहीं चाहती। कृपया मेरे पोस्ट की पवित्रता को बनाए रखें। अन्य धर्मों में भी जबरन धर्म परिवर्तन होते हैं। और इसे रोकने की जरूरत है।”
इन स्क्रीनशॉट्स में कमलरुख खान द्वारा लिखी बात से यह तो स्पष्ट है कि उनका यह पोस्ट इस्लाम विरोधी नहीं है और ना ही उनके दिल में इस्लाम को लेकर कोई द्वेष है।
मूलतः समझें तो धर्म और प्रेम इंसान का व्यक्तिगत मामला है। इसमें किसी दूसरे का हस्तक्षेप अमानवीय है।