साल 2019 में छह महीने के लिए देशभर में 19,000 से अधिक वीआईपी को चौबीसों घंटे पुलिस सुरक्षा दी गई, जिसके लिए 66,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। मंत्री, सांसद, विधायक, न्यायाधीश और नौकरशाह इन वीआईपी में से थे, जिन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पुलिस सुरक्षा कवच दिया गया था, जो आवश्यकता और खतरे के आधार पर था।
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआर एंड डी) द्वारा संकलित डाटा ऑन पुलिस ऑर्गेनाइजेशन (डीओपीओ) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इसमें उल्लेख किया गया है कि सभी 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के लिए लगाया गया था।
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 19,467 लोगों को 2019 में छह महीने से अधिक समय के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी, जिसमें 66,043 पुलिसकर्मी शामिल थे। वहीं वर्ष 2018 में, 63,061 पुलिसकर्मियों द्वारा 21,300 वीआईपी को पुलिस सुरक्षा दी गई थी।
वर्ष 2019 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर रहा, जहां सबसे अधिक 3142 वीआईपी के लिए 6247 पुलिसकर्मी तैनात रहे। इसके बाद पंजाब राज्य में 2,594 जबकि बिहार में 2,347 वीआईपी को सुरक्षा मिली।
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पंजाब में वीआईपी के सुरक्षा कवच के लिए कुल 7,714 पुलिसकर्मी तैनात किए गए, उसके बाद बिहार में 5,611, हरियाणा में 1,355, झारखंड में 1,351, असम में 1,199 और जम्मू एवं कश्मीर में 1,184 सुरक्षाकर्मी वीआईपी की सुरक्षा में तैनात रहे। दादर और नगर हवेली में एक पुलिसकर्मी की ओर से एक ही व्यक्ति को सुरक्षा मिली। इसके अलावा दमन और दीव में दो, जबकि लक्षद्वीप में पांच लोगों को पुलिस सुरक्षा दी गई।
राष्ट्रीय राजधानी में 501 वीआईपी को सुरक्षाकर्मियों की ओर से सुरक्षा मिली। इन्हें छह महीने से अधिक समय तक सुरक्षा कवच प्रदान किया गया। हालांकि दिल्ली में इन 501 वीआईपी पर 8,182 पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था। पुलिसकर्मियों की तैनाती के लिहाज से देशभर में सुरक्षा ड्यूटी के लिए अधिकतम संख्या दिल्ली में ही दर्ज की गई है।
प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से वीआईपी को सुरक्षा की सुविधा प्रदान की जाती है, जिसकी संख्या 2018 में 40,031 से बढ़ाकर 2019 में 43,566 कर दी गई है। यह सुविधा वीआईपी को उनकी अनिवार्य सुरक्षा आवश्यकता या खतरे की धारणा के अनुसार प्रदान की जाती है। किसी व्यक्ति विशेष की सुरक्षा ड्यूटी में लगे कर्मियों की संख्या राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों द्वारा तय की जाती है। (आईएएनएस)