क्या इस साल हो पाएगा रावण दहन?

इस साल कोरोना महामारी की वजह से रावण दहन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, जिस वजह से करीगरों और पटाखा कारोबारियों को नुकसान होने की आशंका है।

ravan has to wait for next year
कोरोना महामारी की वजह से रावण दहन पर छा रहे हैं संकट के बादल। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)

दिल्ली के सबसे बड़े पुतला बाजार में रावण ने इस बार दस्तक नहीं दी है। टैगोर गार्डन से सटे तितारपुर बाजार में पुतला कारोबारियों में मायूसी नजर आ रही है। हर साल इस बाजार में इस समय रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाया करते थे। तितारपुर में इन दिनों सड़क के किनारे, फुटपाथ, पार्को व छतों पर पुतला बनाने वाले कारीगर व्यस्त नजर आते थे। लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है।

कोविड-19 से परेशान कारोबारियों को इस बार एक अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, क्योंकि पिछले साल पटाखों पर रोक लगने के चलते कई जगह रावण दहन नहीं हुआ था। इस वजह से कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा था।

प्रधानमंत्री द्वारा राममंदिर के लिए भूमिपूजन किए जाने के बाद पुतला कारोबारियों में उम्मीद जागी थी कि इस बार दशहरा का त्योहार भव्य तरीके से आयोजित होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल न हो सका।

राम मंदिर भूमि पूजन में प्रंधानमंत्री मोदी। (फाइल फोटो, PIB)

दिल्ली के तितारपुर में हर साल दशहरे से पहले बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा से कारीगर आकर दिन-रात पुतला बनाने में जुट जाते थे।

कारोबारियों के अनुसार, दिल्ली में करीब हजारों की संख्या में हर साल रावण का पुतला फूंका जाता रहा है, लेकिन इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है। इस कारण सभी कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।

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तितारपुर में रावण बनाने वाले 45 वर्षीय पवन 12 वर्ष की उम्र से रावण का पुतला बनाते चले आ रहे हैं। वह 5 फुट से लेकर 60 फूट का रावण हर साल बनाते आए हैं। यही नहीं, उनके द्वारा बनाया गया रावण ऑस्ट्रेलिया तक भेजा गया है। हर साल पवन 50 से अधिक रावण बनाते हैं, जिन्हें देशभर के विभिन्न जगहों पर दहन करने के लिए लोग ले जाया करते हैं।

पवन ने आईएएनएस को बताया, “मेरे पास हर साल अब तक कई जगहों से रावण बनाने के लिए ऑर्डर आ जाया करते थे। लेकिन इस वर्ष अब तक एक भी फोन नहीं आया। कोरोना के चलते हमारे काम बिल्कुल ठप हो गए। हम हर साल दशहरे पर ही पूरे साल की कमाई करते थे। लेकिन इस वर्ष ऐसा बिल्कुल नहीं हो सका।”

उन्होंने बताया, “मेरा पूरा परिवार इसी काम को करता रहा है, हम सभी इसी सीजन का इंतजार करते हैं। लेकिन इस बार हम सभी घरों पर बैठने को मजबूर हैं। हमें डर है कि पूरे वर्ष का खर्चा कैसे निकलेगा और हम अपना जीवन कैसे बिताएंगे।”

पवन ने आगे कहा, “पिछले साल पटाखे पर बैन होने का हमारे व्यापार पर असर पड़ा, और उसका कर्जा मैं आज तक चुका रहा हूं। इस साल मुझे ज्यादा उम्मीद थी, क्योंकि राम जन्मभूमि का पूजन भी हुआ, जिस वजह से हमें लगा था कि दशहरा भव्य तरीके से मनाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं दिख रहा है।”

रावण दहन
रावण दहन न होने से कारीगरों और पटाखा कारोबारियों को नुकसान होने की आशंका। (Wikimedia Commons)

राम गोपाल भी रावण का पुतला बनाते हैं, उन्होंने आईएएनएस को बताया, “हिमाचल प्रदेश, मुरादाबाद, बरेली, हरियाणा, एमपी, राजस्थान से हर साल लेबर और कारीगर यहां आकर रावण बनाया करते थे। लेकिन इस बार सभी अपने-अपने राज्य में ही मौजूद हैं।”

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उन्होंने बताया, “हमें इसके अलावा कोई और काम नहीं आता, न ही हम इसके अलावा कोई और काम कर सकते हैं। इस वक्त के सीजन का हम बेसब्री से इंतजार करते हैं, इसीसे हमारे परिवार का गुजर- बसर होता है। हम केंद्र सरकार से उम्मीद करते हैं कि हमारे बारे में कुछ सोचेगी।”

हालांकि दिल्ली में हर साल सबसे ज्यादा रावण दहन किए जाते हैं। लेकिन कोरोना वायरस के चलते यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि सरकार दशहरे पर रावण दहन करने की इजाजत देगी या नहीं।(आईएएनएस)

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