By Vivek Tripathi
उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar pradesh Government) कृषि आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए नई जैव ऊर्जा नीति लाएगी। यह नई नीति किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन पैदा करने, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित करने के साथ ही जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना का जरिया बनेगी।
यही नहीं इस नीति के चलते कृषि अपशिष्ट (पराली) को खेतों में जलाया जाना भी बंद होगा और इससे होने वाले प्रदूषण पर रोक लगेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi AdityaNath) के निर्देश पर सूबे के अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग ने नई राज्य जैव ऊर्जा नीति का मसौदा तैयार कर दिया। अब इस नई राज्य जैव ऊर्जा नीति को जल्द मंजूरी मिलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए राज्य जैव उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम 2018 लागू किया था। इसके अंतर्गत जैव ऊर्जा उद्यमों को पूंजीगत उपादान, राज्य जीएसटी (State GST) की 10 वर्षों तक शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति तथा इन उद्यमों की स्थापना के लिए भूमि क्रय पर स्टाम्प डयूटी में शत प्रतिशत छूट की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई थी।
सरकार की इस योजना के चलते विभिन्न जैव ऊर्जा उत्पादों एवं तकनीकों से संबंधित 14 बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति पत्र दिए हैं। यह परियोजनाएं राज्य में करोड़ों रुपए का निवेश कर लग रही हैं। जिसका संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री ने कृषि अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने संबंधी नई जैव ऊर्जा नीति तैयार करने का निर्देश दिया है। अब यह नीति तैयार हो गई है। इसमें केंद्र सरकार (Central Government) से मिलने वाले अनुदान के अलावा राज्य सरकार के स्तर से टॉप-अप सब्सिडी का प्रस्ताव है। इस नीति में प्रदेश सरकार पर एकमुश्त खर्च के अलावा प्रति वर्ष करीब 257.40 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आने का अनुमान है।
अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस नीति का सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा। इस नीति से कृषि अपशिष्टों को खेतों में जलाने से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय संकट का समाधान तो होगा ही भूमि की उत्पादकता में आने वाली कमी की समस्या भी सुलझेगी। अधिकारियों के अनुसार कृषि अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने संबंधी नई जैव ऊर्जा नीति एक सार्थक की पहल है।
इस नीति के चलते नगरीय ठोस अपशिष्ट, कृषि उपज मंडियों के अपशिष्ट, चीनी मिलों के अपशिष्ट व पशुधन से जैव ऊर्जा उत्पन्न करने के विकल्प का उपयोग होगा। नीति में पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना, कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी), बायो कोल, बायो एथनॉल व बायो डीजल के उत्पादन व उपयोग की रणनीति शामिल है। नीति में कई तरह की छूट और प्रोत्साहन का प्रस्ताव भी है।
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प्रदेश सरकार (State Government) बायोमास संग्रह व भंडारण के लिए उपयोगी कृषि उपकरणों पर केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी में टॉप-अप देगी। यह टॉप-अप सब्सिडी इस तरह होगी कि लाभार्थी पर उपकरणों की लागत का अधिकतम 20 प्रतिशत ही भार आए। नीति के अंतर्गत प्रथम चरण में 100 मेगावाट क्षमता के पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना की योजना है। प्रतिस्पर्धात्मक टैरिफ और औसत बिजली खरीद पूल्ड कास्ट के बीच अंतर की धनराशि की प्रतिपूर्ति प्रदेश सरकार करेगी। नीति में जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना और बायोमास संग्रह के लिए राजकीय, ग्राम पंचायत भूमि लीज पर ली जा सकेगी। निजी काश्तकारों से भी 30 वर्ष तक की लीज पर भूमि लेने का विकल्प भी नीति में दिया गया है।
इस नीति से पावर कार्पोरेशन विकासकर्ताओं से उत्पादित पैडी स्ट्रा आधारित बिजली की खरीद के लिए 20 वर्ष का क्रय अनुबंध होगा। राज्य विद्युत उत्पादन निगम के चालू विद्युत संयंत्रों में बायोकोल का भी फ्यूल के रूप में उपयोग हो सकेगा। वेस्ट टू एनर्जी, बायोडीजल, बायो एथनाल इकाइयों को केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त राज्य से अतिरिक्त सब्सिडी का भी प्रावधान है।(आईएएनएस-UB)