तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद द्वारा गोमूत्र का मजाक उड़ाने के बाद शुक्रवार को राज्यसभा में हंगामा मच गया। तृणमूल सांसद शांतनु सेन उच्च सदन में होम्योपैथी केंद्रों की ‘भयावह स्थिति’ के बारे में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “ऐसी सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है जो कहती है कि गोमूत्र पीने से बीमारी या कोविड-19 ठीक हो सकता है?”
सेन ने कहा, “वे अप्रत्यक्ष रूप से निजी मेडिकल कॉलेजों, नीमहकीमों को बढ़ावा दे रहे हैं।”
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कई लोग गोमूत्र के औषधीय गुणों को मानते हैं और गाय को पवित्र मानते हैं। कई ने अन्य बीमारियों के बीच कैंसर को ठीक करने के इसके गुणों का दावा किया है। हाल ही में फिल्म स्टार अक्षय कुमार ने भी स्वीकार किया कि वह गोमूत्र का सेवन करते हैं। सदन में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा चल रही थी।
हालांकि तृणमूल ने खुद को अलग-थलग पाया क्योंकि सत्ताधारी भाजपा के साथ कई दलों ने होम्योपैथी के पक्ष में तर्क दिया।
बीजू जनता दल के प्रसन्ना आचार्य ने कहा, “होम्योपैथी चिकित्सा की एक पुरानी भारतीय प्रणाली है और यह गरीबों के लिए सुलभ है। इसलिए हमें इसे और मजबूत बनाने की जरूरत है।”
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि ऐसी कई बीमारियां हैं जिनका एलोपैथी में कोई इलाज नहीं है, लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज मौजूद है।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय के बजट में होम्योपैथी के लिए अलग से निर्धारित राशि बहुत कम है।
दूसरी ओर द्रमुक ने सिफारिश की कि राज्य चिकित्सा परिषदों के निर्वाचित सदस्यों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान होना चाहिए।
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भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “कुछ लोग कहते हैं कि होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावशीलता को लेकर कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। होम्योपैथी न केवल बीमारी, बल्कि रोगी पर भी फोकस करता है।”
उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि भारतीय चिकित्सा की इस विशेष प्रणाली को एक्सप्लोर नहीं किया जा रहा है।(आईएएनएस)