भारत रत्न डॉ बी.आर.अंबेडकर को उनकी 64 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

साल 1954 में दवाओं के साइडइफेक्ट के कारण और आंखों की कम होती रोशनी के कारण डॉ बी.आर.अंबेडकर जून से अक्टूबर तक बिस्तर पर रहे। 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में अपने घर पर ही उनका निधन हो गया था।

dr B. R. Ambedkar डॉ बी.आर.अंबेडकर
डॉ बी.आर.अंबेडकर को 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। (Wikimedia Commons)

साल 1954 में दवाओं के साइडइफेक्ट के कारण और आंखों की कम होती रोशनी के कारण डॉ बी.आर.अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) जून से अक्टूबर तक बिस्तर पर रहे। 1955 में उनकी तबीयत और बिगड़ गई। 6 दिसंबर, 1956 को ‘द बुद्ध एंड हिज धम्म’ की पांडुलिपि को पूरा करने के तीन दिन बाद दिल्ली में अपने घर पर ही उनका निधन हो गया था।

माता-पिता की 14 वीं और अंतिम संतान

भीमराव रणजी आंबेडकर जो डॉ.बी.आर.अम्बेडकर या बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय हैं, वह एक अर्थशास्त्री, शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के महू शहर में भीमाबाई मुरबादकर सकपाल और रामजी मालोजी सकपाल के यहां 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। डॉ बी.आर.अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) का जन्म उनके माता-पिता की 14 वीं और अंतिम संतान के रूप में हुआ था। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश भारतीय सेना में सूबेदार थे।

dr B. R. Ambedkar डॉ बी.आर.अंबेडकर
डॉक्टर ऑफ लॉज़ (एल.एल.डी) की डिग्री प्राप्त करने के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय में श्री वालेस स्टीवंस के साथ डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर। (Wikimedia Commons)

बाबासाहेब अम्बेडकर की शिक्षा सतारा में हुई, फिर उन्होंने मुम्बई के एलफिंस्टन कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से भी शिक्षा प्राप्त की। उन्हें लंदन से बैरिस्टर-एट-लॉ की डिग्री भी हासिल हुई।

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स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री

भारत लौटने के बाद वह महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, और कई अन्य लोगों के साथ देश के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद बाबासाहेब अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने और भारत के संविधान के प्रमुख वास्तुकार भी रहे।

इसके साथ ही उन्होंने हाशिए पर जी रहे लोगों, दलितों, गरीबों के अधिकारों के लिए काम किया और उन्हें मुख्यधारा के समाज में समान अधिकार दिलाने के लिए कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक साधनों को अपनाकर दलित के मसीहा बने।

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डॉ.अंबेडकर सदा ही दलित वर्ग के लिए आवाज़ उठाते आए थे। (Wikimedia Commons)

बाबासाहेब जिंदगी भर भारतीय समाज में भेदभाव, पतन और अभाव के खिलाफ लड़ते रहे। वह आधुनिक बौद्ध आंदोलन को प्रेरित करने वाले और दलितों, महिलाओं और श्रम के सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाने वाले व्यक्ति रहे।

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राजनेताओं ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के मौके पर डॉ बी.आर.अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी सरकार राष्ट्र के लिए उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, “महापरिनिर्वाण दिवस पर महान डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर को याद कर रहा हूं, जिनके विचार और आदर्श लाखों लोगों को शक्ति देते रहते हैं। हम उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो उन्होंने अपने राष्ट्र के लिए देखे थे।”

महाराष्ट्र के सभी पार्टियों के नेताओं ने भी इस मौके पर बाबासाहेब अम्बेडकर को याद किया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, मुंबई की महापौर किशोरी पेडनेकर समेत कई प्रमुख लोगों ने दादर में चैत्यभूमि जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।

इस मौके पर श्रद्धांजलि देने वालों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात, अखिल भारतीय कांग्रेस एससी/एसटी विंग के प्रमुख और महाराष्ट्र के मंत्री डॉ.नितिन राउत, केंद्रीय समाज कल्याण राज्य मंत्री रामदास अठावले, और डॉ.भालचंद्र मुंगेकर शामिल हैं।

इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) देवेंद्र फड़नवीस, विपक्ष के नेता (परिषद) प्रवीण दरेकर, भाई गिरकर, एमपी लोढ़ा, कालिदास कोलांबकर और अन्य नेता भी चैत्यधाम पहुंचे।

बता दें कि 6 दिसंबर, 1956 को डॉ.अंबेडकर का चैत्यभूमि में ही अंतिम संस्कार किया गया था। आमतौर पर हर साल इस दिन पूरे भारत से अंबेडकर के 3 लाख से ज्यादा अनुयायी चैत्यभूमि में इकट्ठा होते हैं, लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण इस साल उनके अनुयायियों ने घर पर रहना ही ठीक समझा।

श्रोत – आईएएनएस

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