By: संदीप पौराणिक
मध्य प्रदेश की व्यापारिक और औद्योगिक नगरी इंदौर ने लगातार चौथी बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल कर नया कीर्तिमान बनाया है। इस शहर ने यह सफलता यूं ही नहीं हासिल की है, बल्कि इस शहर के लोगों का जज्बा और जुनून ही ऐसा कुछ है कि, वे जो ठान लेते हैं उसे करके दिखाते हैं। यही कारण है कि इंदौर की इंदौरियत को लोग सलाम करते हैं।
इंदौर देश और दुनिया में अपनी स्वच्छता को लेकर खास पहचान बना चुका है, यही कारण है कि यहां के बारे में कहा जाता है कि गंदगी ढूंढ के बताओ। पूर्व महापौर मालिनी लक्ष्मण गौड़ का कहना है कि, “शुरुआत में शहर में साफ -सफाई को लेकर काफी मेहनत करनी पड़ी, और लोगों का साथ भी मिला। यही कारण रहा कि एक नहीं चार बार इस शहर ने स्वच्छ शहर का गौरव हासिल किया है।”
लगभग 27 लाख की शहरी आबादी वाले इस शहर को स्वच्छ बनाने के लिए योजना का जिक्र करते हुए गौड़ बताती हैं कि “मॉडल के तौर पर एक वार्ड में सबसे पहले सूखा और गीला कचरा इकट्ठा करने की योजना बनाई गई और इसे पूरे शहर के सभी 85 वार्डो में लागू किया गया।”
स्वच्छता के मामले में इंदौर की सफलता को लेकर नगरीय आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि, “इंदौर के लेागों में जागरुकता है और स्वच्छता उनके स्वभाव का हिस्सा बन चुकी है। राज्य के अन्य हिस्सों में इसी तरह की जागरुकता की जरूरत है। “
सफाई अभियान की चर्चा करते हुए नगर निगम के एक अधिकारी बताते हैं कि पहले जगह-जगह कचरे की पेटियां लगाई गईं, उसमें सफलता नहीं मिली, क्योंकि कचरा सड़क और फुटपाथ पर फैल जाता था। बाद में लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए अभियान चलाया गया। सभी कचरा पेटियों को हटाकर कचरा उठाने के लिए 200 से ज्यादा छोटी गाड़ियां लगाई गईं। ये गाड़ियां अब हर घर पर दस्तक देकर वहां से कचरा उठा लेती हैं।
इंदौर को जब पहली बार स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के सबसे स्वच्छ शहर का सम्मान मिला तब के नगर निगम आयुक्त और वर्तमान में जिलाधिकारी मनीष सिंह कहते है कि , “यह सम्मान इंदौर के निवासियों के कारण मिल रहा है, क्योंकि उनके बीच इस तरह की जागरुकता है कि हर बार नंबर एक बनें। इसमें जनप्रतिनिधियों के साथ सफाई कामगारों का भी साथ मिला। “
“नगर निगम द्वारा पूरे शहर से इकट्ठा किए गए कचरे को अलग किया जाता है और इस कचरे के निष्पादन का भी इंतजाम है। गीले कचरे से खाद बनाई जाती है, तो सूखा कचरा रिसाइकिल कर उद्योगों को भेजा जाता है, इससे निगम को आमदनी भी हो रही है। इतना ही नहीं घरों से निकलने वाले कचरे का निष्पादन (डिस्पोज) किया जाता है। “
सार्वजनिक समारोहों में डिस्पोजवल बर्तनों का उपयोग कम किया जाए, इसके लिए नगर निगम ने बर्तन बैंक भी बनाया है। इसके चलते समारोहों से निकलने वाला कचरा कम हुआ है। इसी तरह थैला बैंक भी बनाया गया। जिससे आम लोग कागज और जूट के बने थैले और किसी बड़े आयोजन के लिए स्टील के बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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इसके साथ ही नगर निगम ने सार्थक और बैसिक्स जैसी गैर सरकारी संस्थाओं का साथ लेकर शहर के 700 कचरा उठाने वाले लोगों को प्रशिक्षण और पहचान पत्र देकर कचरे के वर्गीकरण का काम सौंपा। वे कचरे को प्लास्टिक, कागज, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, शीशा और धातु के मुताबिक अलग-अलग करते हैं।
इंदौर की पहचान है छप्पन दुकानें। यह बाजार डिस्पोजल फ्री बाजार बन गया है। यहां के गुंजन शर्मा बताते हैं कि इंदौर वह शहर है जहां लोग जो ठान लेते है वह पूरा करके दिखाते हैं। ऐसा ही कुछ स्वच्छता के मामले में हुआ है। वर्तमान में इस बाजार में स्वच्छता मिशन चलाया हुआ है। यहां निकलने वाले कचरे को यही पर निष्पादित कर दिया जाता है। युवा वर्ग का भी इसमें साथ मिल रहा है।(IANS)