78 फीसदी पेरेंट्स को बच्चों का साल बर्बाद होने की परवाह नहीं : सर्वे

78 फीसदी भारतीय पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं- एक सर्वे का दावा।

Students during Covid-19
कोरोना वायरस ने बच्चों की दिनचर्या पर प्रभाव डाला है। (Pixabay)

 कोरोनावायरस के कारण जारी लॉकडाउन आने वाले समय में पूरी तरह खोल दिया जाएगा लेकिन इसके बावजूद 78 फीसदी भारतीय पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं। एक सर्वे में गुरुवार को इसका खुलासा हुआ।

एडटेक स्टार्टअप एसपी रोबोटिक वर्क्‍स द्वारा 3600 पेरेंट्स और इतनी ही संख्या में बच्चों पर देश के प्रमुख शहरों में कराए गए सर्वे से पता चला है कि बेंगलुरू, मुम्बई, हैदराबाद और कई मिनी मेट्रो शहरों में माता-पिता कोरोना के रिस्क के कारण अपने बच्चों को लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्कूल नहीं भेजना चाहते।

सर्वे से पता चला है कि करीब 50 फीसदी बच्चों की सोने की आदत पूरी तरह बदल चुकी है जबकि सिर्फ 13 फीसदी की स्लीप पैटर्न नियमित है।

सर्वे के मुताबिक 67 फीसदी पैरेंट्स मानते हैं कि उनके बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है। साथ ही इसमें यह भी पता चला है कि लगभग 40 फीसदी बच्चे एक तरह की एंक्जाइटी इश्यू से प्रभावित हैं।

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इसी सर्वे के मुताबिक 7-10 साल की आयु के 10 फीसदी बच्चे आंतेप्योनॉर बनना चाहते हैं जबकि 16-17 साल की उम्र तक यह प्रतिशत 17 तक पहुंच जाता है।(आईएएनएस)

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