आज के समय में हिंदुत्व और देवी देवता सॉफ्ट टार्गेट बन चुके हैं, क्योंकि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के आड़ में भक्ति और भगवान पर मज़ाक बनाया जा रहा है। हाल ही में 1 जनवरी 2021 को खुद को कॉमेडियन कहने वाले मुनव्वर फारुकी ने एक स्टैंड-अप कार्यक्रम के दौरान भगवान राम, गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिस पर उस कार्यक्रम को देखने पहुँचे ‘हिन्द रक्षक संगठन’ के संयोजक एकलव्य गौर ने फारुकी को इंदौर पुलिस के हवाले कर दिया। और इंदौर पुलिस इस मामले की जाँच में जुटी हुई है। मुनव्वर के साथ 4 ‘हिन्दू’ भी गिरफ्तार किए गए हैं। किन्तु वामपंथियों और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष तबके और मिडिया को केवल फारुकी की गिरफ़्तारी दिखाई दे रही है। यह भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि वह एक अन्य समुदाय से नाता रखता है इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया है। पूरा मामला क्या है उसके जाँच में पुलिस जुटी हुई है, किन्तु यह मामला नया नहीं है।
Munawar faruqui ने पहले भी भगवान राम पर आपत्तिजनक मज़ाक पेश किया था, जिस पर देश के बुद्धिधारी युवा खिल-खिलाकर हसे भी थे।
Munawar faruqui ही नहीं ऐसे कई और भी हैं जिन्होंने हिन्दू में सबसे अधिक पूजे जाने वाले भगवान शिव पर और देश के गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज पर मज़ाक बनाया है। जब कभी इनका विरोध होता है तो एक माफीनामा लिखकर या उसका वीडियो बनाकर वह सभी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। अफ़सोस इस बात का अधिक है क्योंकि वह मज़ाक बनाने वाले भी हिन्दू हैं और सुनने वाले भी अधिकांश हिन्दू ही हैं। किन्तु कोई युवा या यूथ को क्या समझाए जब नेता भी हिंदुत्व के विरोधी हो जाएं और भगवा आतंकवाद के नारे को बुलंद करे और मंदिरों की मूर्तियों को तोड़े जाने पर चुप रहें।
नेता तो दूर मीडिया तक इस दोगलेपन में जनता को बरगला रही है। नीचे दिए गए तस्वीर में ‘The Quint’ द्वारा दो आलेख लिखे गए हैं। एक तरफ तो लिखा है कि “ईद, पैगंबर मुहम्मद के प्रगतिशील उपदेश पढ़ें” वहीं दूसरी तरफ लिखा है कि “क्या कभी हम राम को उत्तम पति के रूप में स्तुति करना बंद करेंगे?” किन्तु ‘The Quint’ को पढ़ने वालों को प्रगतिशील माना जाता। खैर! इस वक्त भी Quint फारुकी के साथ खड़ा है।
कभी भगवान श्री राम पर मज़ाक तो कभी हिन्दू धर्म पर, किन्तु इनकी सेहत और मिज़ाज पर कोई बदलाव नहीं नज़र नहीं आता है क्योंकि आज के युवा ही इन सभी के समर्थन में ट्विटर पर #speakup4munawarfaruqui ट्रेंड में चला रहे हैं। किन्तु मुनव्वर फारुकी की रिहाई की आवाज़ जैसे ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगीं साथ ही साथ पालघर में हुए साधुओं की हत्या का मामला भी ऊपर लाया जाने लगा। पालघर सहित अन्य हिन्दुओं पर हुए हमलों की भी तस्वीर साझा की जाने लगी।
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