राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण के दौरान देश के छोट व सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास के लिए किए जा रहे कार्यो का जिक्र करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर कृषि से आत्मनिर्भर भारत का हमारा लक्ष्य पूरा होगा। राष्ट्रपति ने कहा, “समय की मांग है कि कृषि क्षेत्र में हमारे जो छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास सिर्फ एक या दो हेक्टेयर जमीन होती है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। देश के सभी किसानों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा ये छोटे किसान ही हैं और इनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है।”
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल भारत में निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के हर नागरिक का जीवन स्तर ऊपर उठाने तथा देश का आत्मविश्वास बढ़ाने का भी अभियान है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने बीते छह वर्षों में बीज से लेकर बाजार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है, ताकि भारतीय कृषि आधुनिक भी बने और कृषि का विस्तार भी हो। इन्हीं प्रयासों के क्रम में मेरी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए लागत से डेढ़ गुना एमएसपी देने का फैसला भी किया। उन्होंने कहा कि आज सरकार न सिर्फ एमएसपी पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीद कर रही है बल्कि खरीद केंद्रों की संख्या को भी बढ़ा रही है।
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राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे खुशी है कि सरकार के इन प्रयासों को हमारे किसान अपने परिश्रम से और आगे बढ़ा रहे हैं। आज देश में खाद्यान्न उपलब्धता रिकॉर्ड स्तर पर है। वर्ष 2008-09 में जहां देश में 23.4 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार हुई थी वहीं साल 2019-20 में देश की पैदावार बढ़कर 29.6 करोड़ टन तक पहुंच गई है। इसी अवधि में सब्जी और फलों का उत्पादन भी 21.5 करोड़ टन से बढ़कर अब 32 करोड़ टन तक पहुंच गया है। मैं इसके लिए देश के किसानों का अभिनंदन करता हूं।” राष्ट्रपति ने देश के छोटे किसानों को साथ जोड़कर 10 हजार किसान उत्पादक संगठन बनाने की योजना समेत केंद्र सरकार की अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “व्यापक विमर्श के बाद संसद ने तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं। इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया। देश में अलग-अलग फोरम पर, देश के हर क्षेत्र में दो दशकों से जिन सुधारों की चर्चा चल रही थी और जो मांग हो रही थी, वह सदन में चर्चा के दौरान भी परिलक्षित हुई।” राष्ट्रपति ने कहा, “वर्तमान में इन कानूनों का अमलीकरण देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी।”
(आईएएनएस)