कोरोना संक्रमण के चलते कई बच्चों ने अपने पालकों को खोया है। ऐसे निराश्रित बच्चों को गैर सरकारी संगठन बिना वैधानिक प्रक्रिया को पूरा किए गोद दे रहे है। यह मामले सामने आने पर केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग ने हिदायत दी है कि वैधानिक प्रक्रिया को अपनाए बगैर बच्चों को गोद लेने वालों पर कार्रवाई होगी। उन्हें जेल व जुर्माने की सजा तक हो सकती है। केन्द्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि वैधानिक प्रकिया अपनाए बिना निराश्रित बच्चों को गोद लेने पर छह माह का कारावास अथवा 10 हजार रुपए जुमार्ना या दोनों सजा हो सकती है।
आयोग द्वारा कहा गया है कि पूर्व के माह में शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि कई गैर सरकारी संगठन उन बच्चों के बारे में विज्ञापन प्रसारित कर रहे हैं, जो अनाथ हो गए हैं अथवा जिन्होंने कोविड संक्रमण के फलस्वरूप अपने परिवार को खो दिया है। गोद लेना व देना एक वैधानिक प्रकिया है, जिसका पालन किया जाना अनिवार्य है। गोद लेने व देने के लिए संपूर्ण भारत में एकमात्र एवं एकीकृत प्रावधान किया गया है जिसे केन्द्रीय दस्तक ग्रहण अधिकरण (कारा) कहा जाता है।
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आयोग ने कहा है कि ऐसे निराश्रित व जरूरतमंद बच्चों के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से बचें एवं उसकी जानकारी चाइल्ड लाइन 1098, स्थानीय पुलिस, विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई अथवा कारा को दें। (आईएएनएस-PS)