By – हमजा अमीर
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और उसके जुड़वां शहर रावलपिंडी में लोग एक घटना से स्तब्ध हैं। यहां पुलिसकर्मियों ने एक 22 वर्षीय छात्र को सिर्फ इसलिए गोली मार दी, क्योंकि उसने इनके कहने पर अपनी कार नहीं रोकी। पुलिसकर्मियों ने छात्र की कार पर भारी गोलीबारी की, जिससे उसकी मौत हो गई।
उस्मा नदीम सत्ती, जो सेक्टर एच-11 इस्लामाबाद में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनयूएसटी) में अपने चचेरे भाई को छोड़ने के बाद घर जा रहा था, को आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के कम से कम पांच कर्मियों द्वारा रोका गया। उसने कथित तौर पर कार को नहीं रोका, जिसके बाद एटीएस के जवानों ने कार को गोलियों से छलनी कर दिया।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस) के एक प्रवक्ता ने कहा, “कम से कम सात गोलियां सिर और सीने सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में लगीं।” इस घटना से गुस्साये सत्ती के परिवार के सदस्यों ने मुख्य राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया।
कार पर 22 गोली चलाने वाले सभी पांच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 302/34, 14 बी, 149 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है।
पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रारंभिक जांच के अनुसार, मृत छात्र की बेगुनाही की पुष्टि हो गई है, यह पांचों पुलिस अधिकारियों की गलती है, क्योंकि उन्होंने कार रोकने केअन्य विकल्पों पर गौर नहीं किया।
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वहीं घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों ने कहा, “हमें शम्स कॉलोनी के एक निवासी से एक आपातकालीन कॉल प्राप्त हुआ। फोन करने वाले ने पुलिस को सूचित किया कि लगभग चार सशस्त्र लुटेरे उसके घर में घुस गए, परिवार के सदस्यों को बंदूक से डराकर पकड़ लिया, कीमती सामान लूट लिया और एक सफेद कार पर भाग गए। इस बीच, एक सफेद सुजुकी कार दिखाई दी और एटीएस ने इसे रोकने के लिए संकेत दिया, लेकिन चालक नहीं रुका और भाग गया।
हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि पुलिस अधिकारियों ने टायरों को निशाना बनाने के बजाय कार पर पीछे से 22 गोलियां दागीं।
दूसरी ओर, छात्र के पिता ने कहा, “मेरे बेटे को कई बार गोली मारी गई। आतंक विरोधी दस्ते ने टायरों के बजाय विंडस्क्रीन पर निशाना लगाकर खुलेआम आतंकवाद को अंजाम दिया।” (आईएएनएस)