भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने शुक्रवार को कहा कि चीनी आक्रमकता ‘यथास्थिति को बदलने की एक साजिश है’ और जोर देकर कहा कि गलवान में जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। सेना दिवस के अवसर पर यहां एक कार्यक्रम में, जनरल नरवने ने लद्दाख में चीनी गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा, “कोई भी हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ले सकता है।”
उत्तरी सीमाओं पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बारे में उन्होंने कहा, “सीमाओं पर यथास्थिति बदलने की साजिश पर एक करारा जवाब दिया गया। मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि गलवान के बहादुरों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी देश की क्षेत्रीय अखंडता की संप्रभुता को नहीं बदल सकता है। सेना प्रमुख ने कहा, “हमारी सेना का मनोबल बहुत ऊंचा है और हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच आठ दौर की वार्ता हुई है और भारत बातचीत के माध्यम से एक हल की तलाश कर रहा है। भारत और चीन का गतिरोध अब अपने नौवें महीने में प्रवेश कर चुका है, क्योंकि दोनों पक्षों ने सीमा के पास सेना, तोपों, टैंकों और बख्तरबंद वाहनों की भारी तैनाती जारी रखी है। मई 2020 में पैंगॉन्ग झील में झड़पों के साथ तनाव शुरू हो गया था, जब दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की में कई जवान घायल हो गए थे। 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में, 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीनियों ने कभी भी अपनी हताहत को सार्वजनिक नहीं किया।
सेना प्रमुख ने कार्रवाई में शहीद जवानों की वीरता को स्वीकार करते हुए कहा, “हम हमेशा उन लोगों को याद रखेंगे, जिन्होंने अपना बलिदान दिया है। हम उनके परिवारों को बताना चाहते हैं कि हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।”
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि घुसपैठ करने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार लॉन्चपैड्स में 300-400 आतंकवादी तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आतंक विरोधी अभियानों में, सुरक्षा बलों ने जम्मू और कश्मीर में 200 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है।
चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ जारी सीमा विवादों के बीच भारतीय सेना ने अपनी मारक क्षमता में इजाफा करने और अपने जवानों की जरूरतों के लिए पिछले साल 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें सेना की ओर से 5,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन खरीदारी भी शामिल है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सेना प्रमुख ने दिल्ली में सेना दिवस के अवसर अपने संबोधन में कहा, हमने आपातकाल और फास्ट-ट्रैक स्कीम के तहत 38 सौदों में 5,000 करोड़ रुपये की सामग्री खरीदी, जिसमें हथियार और अन्य सामग्री शामिल है। इसके अलावा, 13,000 करोड़ रुपये की खरीद योजनाओं के अनुबंधों को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने भविष्य के लिए 32,000 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 29 आधुनिकीकरण परियोजनाओं की पहचान की है। निजी उद्योग के साथ भारतीय सेना देश में आत्मनिर्भर इको सिस्टम में योगदान करने का भी प्रयास करेगी। सेना प्रमुख ने कहा, यह स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देगा और हम आयात पर कम निर्भर होंगे।
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जनरल नरवणे ने बताया कि सशस्त्र बलों की आत्मनिर्भरता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख ‘मेक इन इंडिया’ के तहत आधुनिकीकरण की योजना का एक अभिन्न अंग है। सैनिकों के लिए हल्की मशीन गन, विशेष वाहन, लंबी दूरी की तोपें और अन्य सुरक्षात्मक उपकरण खरीदे गए हैं। कॉर्प्स ऑफ सिग्नल के इंजीनियरों और संचार उपकरणों के लिए अत्यधिक उन्नत उपकरण और मशीनें भी खरीदी गईं हैं।
कठोर सर्दियों के मौसम में तैनात सैनिकों के लिए न केवल आपातकालीन खरीद की गई है, बल्कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के बीच उनके परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं। सेनाध्यक्ष ने कहा कि देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए या घायल हुए सैनिकों के परिवारों के लिए पारिवारिक पेंशन सहित अन्य सुविधाएं भी सुनिश्चित की गई हैं। बता दें कि जून 2020 में पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत ने 20 सैनिक खो दिए थे। लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने त्वरित आपातकालीन खरीद की है।(आईएएनएस)