By: नवनीत मिश्र
भारत में सिखों की सर्वोच्च चुनी हुई संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी(एसजीपीसी) की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ पास किए प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी ने एतराज जताया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह ने इसे कमेटी की चुनावी राजनीति से जोड़ते हुए हमला बोला है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा है कि, “सच तो यह है कि एसजीपीसी पंजाब में सिखों का धर्मांतरण रोकने में फेल साबित हुई है। पंजाब में सिख परिवारों के ईसाई बनने के सैंकड़ों-हजारों मामले हैं, लेकिन एक भी सिख के हिंदू बनने का कोई उदाहरण नहीं है। राजनीतिक मकसद से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी आरएसएस के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है।”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह ने आईएएनएस से कहा, “एसजीपीसी ने कहा कि आरएसएस देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहा है। मैं एसजीपीसी के पदाधिकारियों से पूछता हूं कि वे बता दें कि पिछले दस साल में पंजाब में कितने मंदिर बनें और कितने चर्च? सच तो यह है कि पंजाब में दस साल में एक भी नया मंदिर नहीं बना, लेकिन सैंकड़ों-हजारों चर्चें बन गईं। इससे एसजीपीसी का दावा सरासर झूठा निकलता है।”
दरअसल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बीते दिनों जनरल हाउस मीटिंग में पास किए प्रस्ताव में आरएसएस की तुलना मुगलों की गतिविधियों से की थी। एसजीपीसी ने अपने प्रस्ताव में आरएसएस पर देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिशों के तहत दूसरे धर्मों में दखलंदाजी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया था। प्रस्ताव में कहा गया था कि 17 वीं सदी में इस तरह के प्रयास मुगलों ने किए थे और उन्हें रोकने के लिए सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी ने बलिदान दिया था।
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भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह ने आईएएनएस से कहा, “गुरुदासपुर में 7.98 प्रतिशत सिख आज ईसाई बन गए, जालंधर में भी दो प्रतिशत सिख ईसाई बन चुके हैं। कभी गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने इस धर्मांतरण को रोकने की कोशिश नहीं की। पंजाब में ईसाइयों की बढ़ती संख्या के कारण आज पंजाब की सरकार भी तुष्टीकरण के लिए मजबूर हो गई है। एसजीपीसी से जुड़े पदाधिकारी भी ईसाइयों के कार्यक्रम में जाते रहे हैं। मुझे लगता है कि एसजीपीसी का इस साल चुनाव है, ऐसे में कमेटी आरएसएस के खिलाफ भड़ास निकालकर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है।”(आईएएनएस-SHM)