एक झटके में तीन तलाक कहने पर भले ही कोर्ट ने रोक लगा दी है। फिर भी इसके मामले कम नहीं हो रहे हैं। इसे देखते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने निकाहनामा से शादी करने की शुरूआत कर दी है। मुस्लिम समाज में तीन तलाक और दहेज की कुरीति को खत्म करने के लिए यह निकाहनामा कारगर हथियार बन रहा है। आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया कि, “मुस्लिम महिलाओं को धोखे से बचाने के लिए शरई निकाहनामा तैयार किया है। इसको पूरे देश में लागू कराने के लिए हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर गुजारिश भी कर चुके हैं। निकाहनामे की विशेषताओं को जानने के बाद प्रधानमंत्री इससे काफी प्रभावित हुए थे।”
उन्होंने बताया कि, “निकाहनामे का मूल तत्व है दोनों पक्षों को बराबर का हक मिले। वर और वधु पक्ष का फोटो सहित पूरा पता इस निकाहनामे में दर्ज किया जाएगा। वर वधु का आधार कार्ड निकाहनामे से जोड़ा जाएगा, जिससे आधुनिक विवाह की आड़ में किए जाने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। निकाहनामा हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में है।”
शाइस्ता अंबर कहती हैं कि, “इस निकाहनामें को अमल कराने के लिए बीवी और शौहर दोनों की काउंसिलिंग करनी पड़ती है। तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट के निर्णय में इस निकाहनामा की सलाह को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस निकाहनामा की जरूरत फर्जी शादी करके लोग विदेश भाग जाते हैं। ऐसे में अगर निकाहनामा होगा। तो उसके पासपोर्ट को जब्त करने का प्रावधान है। इसे आधारकार्ड से जोड़ा गया है। निकाह करने वालों का सबूत काजी के पास होगा। शौहर के पास भी होगा। सभी की फोटो होगी। इसका एक पंजीकरण मैरिज ब्यूरों में भी होता है। इसमें तीन से चार कॉपी होती है। दुल्हा-दुल्हन और काजी के पास होती है।”
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शाइस्ता कहती हैं, “लड़की अपनी शतरें पर निकाह कर सकती है। निकाहनामा लगाने के लिए पासपोर्ट, आधार, वोटर आईडी या केन्द्र सरकार द्वारा जारी कोई आईडी प्रूफ होना चाहिए। यह निकाहनामा पूरी तरह भारतीय संविधान और इस्लाम के अनरूप बनाया गया है। इस पर अमल कराने के लिए शौहर और बीवी की काउंसिलिंग करनी पड़ती है।” (आईएएनएस-SM)