Edited By: Shantanoo Mishra
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSI) ने आंध्र प्रदेश(Adhra Pradesh) के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर राज्य(Adhra Pradesh) में अनुसूचित जाति (SC) समुदाय को लक्षित बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मांतरण(Christian Conversion) के मामले में ‘कार्रवाई की’ रिपोर्ट मांगी है। दलित अधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले एक नॉन-प्रॉफिट कानूनी सक्रियता संगठन एससी एसटी राइट्स फोरम द्वारा की गई शिकायत के बाद, आयोग ने यह संज्ञान लिया है।
शिकायत पत्र में, हिंदू कार्यकर्ता समूहों ने आरोप लगाया था कि चर्च राज्य(Adhra Pradesh) में अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को निशाना(Christian Conversion) बना रहे हैं और उन्होंने तर्क दिया था कि अनुसूचित जाति समुदाय के लिए आरक्षण का दुरुपयोग किया गया है। समूह ने कार्रवाई के लिए एक तथ्य-खोज समिति की मांग की थी। यह शिकायत समूह द्वारा गत वर्ष 2020 के पहले महीने में की गई थी।
पत्र में कहा गया है कि स्थिति ऐसी है कि “अनुसूचित जाति” और “ईसाई” शब्द पर्यायवाची बन गए हैं। आंध्र सरकार की योजना “चंद्रन्ना क्रिसमस कनुका” के लिए लाभार्थियों के चयन के बारे में एक आरटीआई प्रश्न का हवाला देते हुए, शिकायतकर्ता ने कहा कि आंध्र प्रदेश के सरकारी अधिकारियों ने कहा था कि वे पूरी एससी आबादी को ईसाई मानते हैं, भले ही यह योजना केवल ईसाइयों के लिए है।
एक मीडिया वेबसाइट द कम्यून से बात करते हुए, के. नागराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एससी/एसटी राइट्स फोरम ने कहा कि एससी समुदाय भारत में ईसाई धर्मांतरण का सबसे बड़ा पीड़ित समूह है और आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण(Christian Conversion) दर अधिक है। “यह अनुसूचित जाति समुदायों की संस्कृति पर हमले के अलावा और कुछ नहीं है। हालांकि यह सरकारों का कर्तव्य है कि वे अनुसूचित जाति समुदायों की संस्कृति को गिरजाघर के आक्रमण से बचाएं, दुर्भाग्य से ये सरकारें आंखें मूंद रही हैं।”
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आंध्र-प्रदेश का एक ऐसा गांव जो धर्मांतरण के विरुद्ध!
दलित धर्मांतरण जैसे गैर-कानूनी मामलों पर आवाज उठाने वाले एक मंच ने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि “अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय को ईसाई मिशनरियों द्वारा ईसाई धर्म में परिवर्तित होने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के गुरुजाला गांव ने दलितों को जबरन धर्मांतरण से बचाने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव पारित किया है।”
ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्तावों में से एक ईसाई संगठन इंटरनेशनल मिशन बोर्ड (आईएमबी) से विदेशी फंडिंग के माध्यम से निर्मित एक अनधिकृत चर्च को हटाना है। ग्रामीणों के अनुसार, ईसाई धर्म में धर्मान्तरित लोग एक परिसर की दीवार का निर्माण करके अवैध रूप से निर्मित चर्च का विस्तार करने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों ने कहा था कि यदि चर्च का विस्तार योजना के अनुसार किया गया, तो यह पास के एक शिव मंदिर में होने वाले अनुष्ठानों और समारोहों में बाधा उत्पन्न करेगा।
इसी के साथ दो प्रस्ताव पारित किए गए एक, ” भविष्य में किसी भी धार्मिक ढांचे के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि इसे 51% बहुमत से पारित ग्रामसभा के प्रस्ताव के माध्यम से अनुमोदित नहीं किया जाता है।” दूसरा “अनुसूचित जाति को सभी सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सवों में प्राथमिकता दी जाएगी और गांव में सभी मंदिर गतिविधियों का एक अभिन्न अंग होगा।”
आपको बता दें कि धर्मांतरण का विषय राष्ट्रव्यापी विषय है, जिससे उत्तर भारत भी पीड़ित है और दक्षिण भारत भी कई समय से पीड़ित है। ऐसे में यह गांव उन सभी गांवों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जहाँ ईसाई या इस्लाम धर्मांतरण पैर पसार रहा है।