उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को उनके कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए साहसिक आर्थिक सुधारों के माध्यम से देश के विकास को गति देने में उनकी प्रमुख भूमिका के बावजूद ‘उचित पहचान’ नहीं मिली। उनके कार्यकाल के समय देश एक ‘गंभीर आर्थिक संकट’ और राजनीतिक ‘अनिश्चितता’ से गुजर रहा था। नायडू ने हैदराबाद में एक वरिष्ठ पत्रकार ए. कृष्णा राव द्वारा लिखित ‘विप्लव तापस्वी : पीवी’ नामक एक तेलुगू पुस्तक का विमोचन के दौरान यह बात कही। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से इस तरह की किताबें पढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “महान पुरुषों और महिलाओं के बारे में किताबें और स्मरणीय व्याख्यान दूसरों को प्रेरित करने के लिए होते हैं।
नायडू ने कहा कि नरसिम्हा राव ने कई राजनीतिक पंडितों की अपेक्षाओं से आगे बढ़कर काम किया और अपने कार्यकाल में कई चुनौतियों के माध्यम से प्रभावी ढंग से देश को आगे बढ़ाया। एक भारतीय वकील और राजनीतिज्ञ नरसिम्हा राव ने 1991 से 1996 तक भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 23 दिसंबर, 2004 को अंतिम सांस ली। यह देखते हुए कि नरसिम्हा राव, एक कुशल प्रशासक थे, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हो सकता है कि कई लोग उनकी नीतियों से सहमत नहीं हों, लेकिन उनके द्वारा की गई कुछ व्यापक पहलें देश के हित में थीं।
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नायडू ने कहा कि नरसिम्हा राव ने लाइसेंस राज को हटाकर, बैंकिंग सुधार, बिजली निजीकरण, दूरसंचार आधुनिकीकरण और निर्यात को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कदम उठाए। उन्होंने कृषि क्षेत्र में सुधारों को भी शुरू किया और खाद्यान्न के परिवहन पर पाबंदी को भी समाप्त कर दिया। नरसिम्हा राव को एक बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताते हुए नायडू ने कहा कि वह एक महान विद्वान, साहित्यकार और बहुभाषी थे। (आईएएनस )