कोरोनावायरस महामारी के चलते भारतीय निर्माताओं की एक बड़ी बिरादरी मूसली और ब्रेकफास्ट सीरियल्स से लेकर फोर्टिफाइड ब्रेड, बिस्कुट, फ्लेवर्ड पेय पदार्थ, शहद और च्यवनप्राश जैसे खाद्य पदार्थो का विज्ञापन करने में जुटी हुई है।
जबकि इनमें से ज्यादातर में आयुर्वेद के किसी फॉर्मूले का उल्लेख भी नहीं होता है, फिर भी वे दावा करते हैं कि ये उत्पाद इम्युनिटी को बढ़ाने वाला है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इन दावों के खिलाफ उपभोक्ताओं को आगाह करते हुए कहा है कि शारीरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इस तरह के बोतलबंद शॉर्टकट उनके लिए एक आदर्श समाधान नहीं है।
दिल्ली की एक प्रतिष्ठित न्यूट्रीशनिस्ट और वेट लॉस कंसल्टेंट सिमरन सैनी ने आईएएनएस को बताया, “कोरोनावायरस महामारी के दौरान कई कंपनियां अपने उत्पादों को इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर पेश कर रहे हैं। यह बेहद खतरनाक ट्रेंड साबित हो सकता, क्योंकि लोग कोरोना संक्रमित होने से डर रहे हैं और ऐसे में वे कोई भी चीज खरीदने के लिए तैयार हैं, जो इम्युनिटी बढ़ाने का वादा करती है।”
एक अन्य न्यूट्रीशनिस्ट, डायटीशियन और फिटनेस एक्सपर्ट मनीषा चोपड़ा कहती हैं, “हर तरह से अपनी इम्युनिटी को बढ़ाएं, लेकिन अपने कॉमन सेंस की कीमत पर नहीं!”
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उन्होंने आईएएनएस से कहा, “हम सभी जानते हैं कि बीमारी की रोकथाम करना उसका इलाज करने से बेहतर है! इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि आप अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर कोरोनावायरस बच सकते हैं। लेकिन जब तक कि दुनिया को कोरोनावायरस को रोकने के लिए एक अच्छी वैक्सीन नहीं मिल जाती, तब तक सब अंधेरे में तीर मार रहे हैं।”
हालांकि इन सभी न्यूट्रीशनिस्ट ने खाना पकाने के लिए और उसके अलावा भी सरसों के तेल के उपयोग को इम्युनिटी का निर्माण करने वाले पदार्थ के तौर पर कारगर बताया।
सिमरन सैनी कहती हैं, “सरसों का तेल एक प्राचीन तेल है, जो हमारे शरीर के अंदर और बाहर दोनों ही सेहत के लिए ढेर सारे फायदे देने वाला तेल है। इस तेल में मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (एमयूएफए) होते हैं जो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के सही संतुलन को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। यह तेल अल्फा लिनोलेइक एसिड से भी समृद्ध है, जो हमारी कार्डियक फंक्शनिंग को सुरक्षा देता है। भारतीय भोजन पकाने में सरसों के तेल का उपयोग करना एक पुरानी परंपरा है और यह हमारी सेहत को ढेर सारे फायदे देता है।”
पी मार्क मस्टर्ड ऑयल बनाने वाली पुरी ऑयल मिल्स के महाप्रबंधक उमेश वर्मा ने आईएएनएस को बताया, “सरसों के तेल में पाए जाने वाले एलिल आइसोथियोसाइनेट्स (एआईटीसी) कंटेंट को व्यापक रूप से एक रोगाणुरोधी कारक (बैक्टीरिया आदि मारने वाला) माना गया है। इसीलिए इसे जुकाम के इलाज, इम्युनिटी बूस्टर, बालों की ग्रोथ, त्वचा को पोषण देने जैसी कई विशेषताओं वाला माना जाता है, बल्कि इसका आयुर्वेद में उल्लेख भी किया गया है।”
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सैनी ने कहा, “सरसों के तेल में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं और यह हमारे पाचन तंत्र को हानिकारक संक्रमण से बचाने में मदद करता है। बल्कि यह बंद हो गए साइनस को साफ करने में भी उपयोगी है। इतना ही नहीं, सदियों पुराने कई घरेलू उपचार हैं, जिनका अनगिनत बार परीक्षण हो चुका है।”
उन्होंने कहा, “ये घरेलू उपचार आज के समय में खास तौर पर उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए, यदि सरसों के तेल को लहसुन, लौंग के साथ गर्म किया जाता है और जुकाम होने पर इसे पैरों के तलवों और छाती पर मल दिया जाता है तो इससे काफी राहत मिलती है।”
दिल्ली स्थित मस्टर्ड रिसर्च एंड प्रमोशन कंसोर्टियम (एमआरपीसी) की सहायक निदेशक प्रज्ञा गुप्ता इस संबंध में कुछ दिलचस्प बातें बताती हैं। उन्होंने बताया, “इस साल की शुरुआत में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के उपचार के रूप में सरसों के बीज का उपयोग फुटबाथ देने में किया गया। यह अध्ययन जर्मनी के इंस्टीट्यूट ऑफ फैमिली मेडिसिन द्वारा किया गया। इस अध्ययन में सरसों के संक्रमण से लड़ने वाले गुणों का लाभ रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से निपटने की संभावनाओं के तौर पर लेने की बात कही गई है। इसलिए ऐसा लगता है कि यही गुण और उपचार कोविड-19 को रोकने के लिए लागू किया जा सकता है जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर हमला करके उसे संक्रमित करता है।”
लिहाजा, सारांश यही है कि यदि आप तेजी से फैलते कोरोनावायरस के इस दौर में विश्वसनीय इम्युनिटी बूस्टर की खोज कर रहे हैं, तो सरसों का तेल एक ऐसा उत्पाद है जो इम्युनिटी का निर्माण करने वाले शक्तिशाली पदार्थ के तौर पर जाना जाता है। (आईएएनएस)