मंदाकिनी का प्राकृतिक स्वरूप संकट में!

इन दिनों मंदाकिनी के प्राकृतिक स्वरूप पर संकट मंडराया हुआ है क्योंकि इस नदी की धरोहर या प्राकृतिक समृद्धि का आधार पत्थरों का उत्खनन किया जा रहा है।

Mandakini river and ramayana story
मंदाकिनी के प्राकृतिक स्वरूप पर संकट मंडराया हुआ है।(Wikimedia Commons)

By : संदीप पौराणिक

भगवान राम के वनवास के काल या चित्रकूट की बात हो और मंदाकिनी नदी का जिक्र न आए ऐसा हो नहीं सकता, क्योंकि भगवान राम ने मंदाकिनी नदी के तट पर वनवास का बड़ा कालखंड गुजारा था, मगर इन दिनों मंदाकिनी के ही प्राकृतिक स्वरूप पर संकट मंडराया हुआ है क्योंकि इस नदी की धरोहर या प्राकृतिक समृद्धि का आधार पत्थरों का उत्खनन किया जा रहा है।

मंदाकिनी नदी मध्यप्रदेश के सतना जिले के अनुसुइया से निकलती है और यह आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश के कर्वी से होती हुई राजापुर में जाकर यमुना नदी में मिल जाती हैं। इस नदी का प्रदूषित होना हमेषा चर्चाओं में रहा है, इसे प्रदूषण मुक्त बनाने की कई बार योजनाएं बनीं, मगर कागजों से आगे नहीं बढ़ पाई।

मंदाकिनी नदी लंबे समय से प्रदूषण का शिकार हो रही है और गाहे-बगाहे सफाई अभियान भी चलते रहते हैं, मगर इन दिनों इस स्फटिक शिला से आरोग्यधाम के बीच के हिस्से में पत्थर निकालने का अभियान जोरों पर चल रहा है। पर्यावरण विदों का कहना है कि पत्थर किसी नदी की प्राकृतिक समृद्धि का बड़ा कारण होते हैं क्योंकि इन पत्थरों से जब पानी टकराता है तो पानी की ऑक्सीजन क्षमता ज्यादा होती है और पानी का शुद्धिकरण होता जाता है। वहीं दूसरी ओर पानी के टकराने से पत्थर धीरे-धीरे रेत में बदल जाता है और रेत नदी के किनारे आकर पानी के शुद्धिकरण में बड़ी मदद करती है।

water pollution in mandakini river
मंदाकिनी नदी में पत्थर निकालने का अभियान जोरों पर चल रहा है।(सांकेतिक चित्र, Pixabay)

मंदाकिनी नदी को नया जीवन देने की बातें तो बहुत अरसे से हो रही हैं, मगर वास्तव में उसे मारने में भी कसर नहीं छोड़ी गई है। इन दिनों मंदाकिनी नदी से पत्थर निकालने का ही काम बड़े पैमाने पर चल रहा है। इन पत्थरों को निकाले जाने के मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब तस्वीरें और वीडियो जारी किए जा रहे हैं।

स्थानीय जागरुक नागरिक संदीप रिछारिया ने फेसबुक वॉल पर लिखा है, मंदाकिनी सेवा या पत्थर चोरी, किसमें दम है जो रोके।

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इसी तरह अजय कुमार दुबे ने लिखा है चित्रकूट में दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा पवित्र मंदाकिनी नदी के पत्थरों से संस्थान की बाउंड्री वाल बनाई जा रही है, यह जलीय जीवन और पर्यावरण के लिए घातक है साथ ही उन्होंने कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं।

इन दिनों मंदाकिनी नदी के आसपास के इलाके में नदी से पत्थरों का खनन चर्चा का विषय बना हुआ है, इस मसले पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन महामंत्री अभय महाजन का कहना है कि, नदी का सफाई अभियान चलाया जा रहा है, इसमें छात्र अपना योगदान दे रहे हैं, जहां तक पत्थरों की बात है, नदी के किनारे का क्षरण होने से जो पत्थर और मिट्टी है, उनका ही उपयोग कर रहे हैं। जब भी कोई अच्छा काम किया जाता है तो कुछ लोगों द्वारा उसकी आलोचना भी होती है। हम इन आलोचनाओं से दूर रहकर अपना काम कर रहे हैं।(आईएएनएस-SHM)

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