जम्मू-कश्मीर में इस साल सुरक्षाबलों की शहादत में आई 50 फीसदी की गिरावट

इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच कुल 36 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान यह संख्या 76 थी। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल सुरक्षाबलों को आने वाली चोटें बढ़ी हैं।

army men martyred in kashmir
सीआरपीएफ़ के जवान (Image: VOA)

By: Rajneesh Singh

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल की तुलना में इस वर्ष विभिन्न ऑपरेशनों के दौरान शहीद होने वाले सुरक्षा बलों की संख्या में 50 फीसदी की गिरावट आई है। आंकड़ों से पता चला है कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष की समीक्षा अवधि में जवानों की शहादत वाली घटनाएं आधी रह गई हैं।

जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच कुल 36 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान यह संख्या 76 थी। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल सुरक्षाबलों को आने वाली चोटें बढ़ी हैं।

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जनवरी से जुलाई के दौरान पिछले साल के 107 मामलों की तुलना में इस साल अब तक कुल 138 सुरक्षा बल के जवान घायल हुए हैं। आंकड़ों से पता चला है कि 2016 में बुरहान वानी की घटना के दौरान यह संख्या 3,300 से अधिक थी।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि आठ जुलाई 2016 को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में 1,000 से अधिक हिंसक घटनाओं में घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 3,300 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।

कश्मीर में गश्त लगाते भारतीय पैरामिलिटरी के जवान (Image: VOA)

ट्रेंड पर बात करते हुए, जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने आईएएनएस को बताया कि केंद्र द्वारा राष्ट्र विरोधी समूहों के खिलाफ रणनीतिक कार्रवाई और जमात-ए-इस्लामी जैसे कई संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के बाद पिछले वर्षों की तुलना में इस साल ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों के हताहत होने की संख्या बहुत कम है।

अधिकारी ने कहा, “‘गुड बिहेवियर बॉन्ड’ पर हस्ताक्षर करने के बाद 504 अलगाववादियों को मुक्त कर दिया गया है। अगर वे कानून और व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं और युवाओं को पथराव और अन्य सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाते हैं तो उन्हें जल्द ही फिर से पकड़ लिया जाएगा।”

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डीजीपी ने कहा कि जमात और हुर्रियत के कुल 104 लोगों पर पिछले साल और 13 लोगों पर इस साल गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आंकड़ों के अनुसार, कानून एवं व्यवस्था की घटनाओं में जनवरी से जुलाई के दौरान पिछले साल के 389 मामलों की तुलना में इस साल कुल 102 मामले देखने को मिले हैं, जिसमें बड़ी गिरावट आई है। पिछले साल की तुलना में इस साल 73 फीसदी की गिरावट है। डेटा से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने यूएपीए के तहत अब तक 261 एफआईआर दर्ज की हैं और 444 लोगों को गिरफ्तार किया है।

भारतीय सेना बल (Image Source: VOA)

पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, यूएपीए के तहत 395 मामले दर्ज किए गए और 849 लोगों को गिरफ्तार किया गया। धारा 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में कानून एवं व्यवस्था की घटनाओं के संदर्भ में 50 फीसदी की गिरावट आई है।

आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जम्मू-कश्मीर में जनवरी से जुलाई के दौरान कुल 124 आतंकवादी संबंधित घटनाएं देखने को मिली, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह संख्या 198 थी। इन घटनाओं में गोलीबारी, हथगोले फेंकना, अपहरण, सरकारी संपत्ति को जलाना और टीआरएफ के झंडे उठाना आदि शामिल है। इन घटनाओं में 37 फीसदी की गिरावट आई है। (आईएएनएस)

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