चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 में मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। सर रमन, विज्ञान क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं। यह सम्मान उनको 1930 में अपने रमन इफेक्ट (Raman Effect) के आविष्कार के लिए मिला था।
रमन इफेक्ट के अनुसार जब मॉलिक्यूल्स के बीच से प्रकाश की किरण गुजरती है तो उसकी वेव लेंथ में बदलाव देखा जा सकता है। आपको बता दूँ कि, इस बिखरी हुई रोशनी के ज़्यादातर हिस्सों की वेव लेंथ में कोई बदलाव नहीं आता, मात्र एक छोटा सा हिस्सा इंसिडेंट लाइट की वेव लेंथ से अलग निकल जाता है ; ऑब्जेक्ट पर पड़ने वाली किरण को इंसिडेंट लाइट कहते हैं।
रमन स्कैटरिंग को समझना और आसान होगा अगर हम इंसिडेंट लाइट को फोटोन्स समझ लें। यहां पर मॉलिक्यूल्स से टकराने के बाद, फोटोन्स की इलास्टिक स्कैटरिंग देखी जा सकती है। इलास्टिक स्कैटरिंग में पार्टिकल्स की काइनेटिक एनर्जी समान रहती है, पर उनकी दिशा में बिखराव दिखता है।
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हालांकि, ऑस्ट्रियाई वैज्ञानिक एडोल्फ स्मेकल ने 1923 में, कागज़ पर इस प्रभाव का वर्णन कर दिया था। और सर सीवी रमन से ठीक एक हफ्ते पहले लियोनिद मैंडेलस्टैम और ग्रिगोरी लैंड्सबर्ग ने भी प्रकाश के इस गुण का अंदाज़ा लगा लिया था। मगर किसी ने भी अपनी खोज को प्रकाशित नहीं किया।
अंततः सन 1954 में विज्ञान के क्षेत्र में, सर सी वी रमन को उनके योगदान के लिए भारत रत्न से नवाज़ा गया था। उनका मानना था कि विज्ञान को मातृभाषा में पढ़ाना चाहिए, अन्यथा इसकी पहुंच आम जन से दूर जाती जाएगी।
इस महान वैज्ञानिक ने लोगों को यह बताया कि सफलता केवल आपकी आशा शक्ति और काम के प्रति आपके साहस को देख कर ही आपके पास आती है।