“आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा” इस कहावत से हाल ही में हम सब परिचित हुए हैं, और इसका प्रयोग किसने और किस हालात में किया इससे भी हम भलीभांति परिचित हैं। कंगना रनौत और शिवसेना के बीच का विवाद जग-जाहिर है, और दोनों तरफ के पक्ष हम सबको पता है।
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कविओं ने राजनीति को दलदल कहा है जिसमे जितना हाथ मारोगे उतने ही धसते जाओगे और उस शासक को जिसे कुर्सी का घमंड है उसे एकतौर पर अपाहिज कहा गया है। महराष्ट्र में शासन है मगर शासक कौन है यह कोई नहीं जानता। जब मराठी मानुस के बारे में कुछ बात आती है तब शिवसेना बीच मैदान में मसीहा की तरह कूदती है और जब फैसलों की बात आती है तो कांग्रेस खुदको मसीहा कहती है, जनता सुने तो सुने किसकी?
इस समय सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामला देश में काफी चर्चा में है और दिन प्रति दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं, गिरफ्तारियां हो रही हैं। अब लोग सवाल करते हैं कि इसमें महाराष्ट्र सरकार की क्या भूमिका है? भूमिका को नकारने वाले कुछ चाटुकार होंगे, मगर पुलिस की जाँच के कुछ ही दिन में जनता को यह समझ आने लगा कि या तो इस मामले को आत्महत्या घोषित कर जाँच बंद करने की जल्दबाज़ी में है महाराष्ट्र पुलिस और या तो किसी बड़े व्यक्तित्व को बचाने के जद्दोजहद में है महाराष्ट्र पुलिस।
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महाराष्ट्र सरकार शुरू से ही इस मामले से बचती दिख रही है, जैसे बिहार से गए 5 पुलिस अफसरों को जाँच में सहयोग न देना, जब बिहार से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विनय तिवारी को तालमेल बिठाने के लिए भेजा गया तभी आनन फानन में बीएमसी का उन्हे कोरोना का बहाना लगाकर नज़रबंद कर देना, इन सभी बातों से लोगों का शक और गहरा गया।
और अब जब जाँच सीबीआई के हाथ में है और कई खुलासे हो रहे हैं, तब शिवसेना कंगना के पीछे हाथ धो कर पढ़ गई है। उनका ऑफिस अवैध बताकर गिरा दिया गया, और तो और अब उन पर ड्रग्स सेवन करने और रखने के मामले को महाराष्ट्र पुलिस जाँच करेगी।
अब शिवसेना और शिवसैनिकों की हर तरफ निंदा की जा रही है क्यूंकि पहले तो कंगना के पीओके का बयान आते ही उनका निर्माणाधीन ऑफिस तोड़ा दिया गया और फिर उद्धव ठाकरे पर बने एक कार्टून को शेयर करने पर पूर्व नौसैनिक को बेरहमी से पिटा गया।
हाल ही में कंगना ने एक ट्वीट शेयर किया जिस में बाला साहेब ठाकरे एक इंटरव्यू में कह रहे हैं कि मेरे बाद शिवसेना, वह शिवसेना नही रहेगी जो अभी है और कुछ हद तक यह सच होता दिख रहा है।