भारत विश्वगुरु था, विश्वगुरु है और विश्वगुरु रहेगा : निशंक

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि, "विश्व स्तरीय रैंकिंग को देखकर लगता है कि अभी हमारे देश में शोध एवं रिसर्च के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश है।

भारत सरकार (Indian government) रिसर्च के क्षेत्र में भारतीय संस्थानों की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग (International ranking) में सुधार चाहती है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भारतीय शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और पेटेंट पर विशेष महत्व देगा। विशेषज्ञों के अनुसार समग्र रैंकिंग (Ranking) में सुधार के बावजूद भारतीय संस्थानों का शोध कार्य अभी भी अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग (International ranking) में पीछे है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (ramesh pokhriyal nishank) ने कहा कि, “विश्व स्तरीय रैंकिंग को देखकर लगता है कि अभी हमारे देश में शोध एवं रिसर्च के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश है। हालांकि सारी दुनिया में हमारे युवा (Youth) छाए हुए हैं। आईआईटी (IIt) से निकले छात्र दुनिया में हर जगह फैले हुए हैं। चाहे फिर वह गूगल (Google) हो या फिर अमेरिका (America) की कोई बड़ी कंपनी। यह भारतीय युवा न केवल विदेशों में नौकरी कर रहे हैं, बल्कि विश्व भर की अग्रणी कंपनियों को नेतृत्व भी प्रदान कर रहे हैं।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक | (PIB)

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (ramesh pokhriyal nishank) ने संसद में दिए अपने वक्तव्य में यह बातें कहीं। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New education policy) को नये भारत के निर्माण के लिए सशक्त और श्रेष्ठ आधार शिला करार देते हुए कहा कि भारत विश्वगुरु था, विश्वगुरु है और विश्वगुरु रहेगा। निशंक ने कहा कि 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत के निर्माण के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New education policy) लायी गयी है, जो सशक्त, श्रेष्ठ और आत्मनिर्भर भारत (Aatam nirbhar bharat) की आधरशिला बनेगी।

निशंक ने कहा कि हमने विश्व को बाजार नहीं बल्कि परिवार माना है। शिक्षा की अलग-अलग योजनाओं के तहत पर्याप्त धनराशि आवंटन की गई है। 15 हजार आदर्श स्कूलों (Schools) और सैनिक स्कूलों का विकास किया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में बजट (Budget) में कटौती किए जाने के आरोपों को भी खारिज किया है। निशंक (Nishank) ने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि शिक्षा के बजट में कोई कटौती नहीं हुई।

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निशंक (Nishank) ने कहा कि 43 लाख 72 हजार गरीब बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था सरकार कर रही है। इसके लिए 1000 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है। इग्नू (Ignuo) जैसा संस्थान दूरस्थ क्षेत्रों में इस समय 8 लाख 19 हजार से अधिक छात्रों को शिक्षा दे रहा है। (आईएएनएस-SM)

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