By: संदीप पौराणिक
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे आंदोलन और गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा ने सवाल खड़े कर दिए हैं और हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर किसान कौन है । केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसान की जो परिभाषा की है, उसमें सिर्फ खेत में फसल उगाने और खेत में काम करने वाला ही किसान नहीं है, बल्कि किसान का आशय व्यापक है।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के निवासी सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर ने भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से दिसंबर 2020 में यह जानना चाहा था कि आखिर सरकार किसान किसे मानती है। कृषि एवं किसान मंत्रालय ने जो जवाब दिया है, उसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय किसान निधि 2007 के अनुसार,जो फसल उगा किसान शब्द के अंतर्गत वे सभी व्यक्ति आते हैं अन्य प्राथमिक कृषि उत्पाद पैदा करने के लिए आर्थिक या जीवनयापन संबंधी गतिविधियों में सक्रियता से संलग्न रहते हैं।
किसान शब्द की व्याख्या करते हुए आगे कहा गया है कि इसमें सभी कृषि प्रचालन जोतधारी कृषक, कृषक श्रमिक, कटाईदार, काश्तकार, मुर्गी पालक तथा पशुपालक, मछुआरे, मधुमक्खी पालक, माली, चरवाहे, गैर सामूहिक पौधारोपण करने वाले तथा कृषि संबंधित व्यवसाय जैसे रेशम पालक, कृमिपालन और कृषि वानिकी से जुड़े व्यक्ति शामिल होंगे। किसान उन्हें भी माना जाएगा जो जनजातीय परिवार, झूम खेती से जुड़े व्यक्ति और गोण तथा गैर इमारती वन उत्पाद के संग्रहण व उपयोग तथा बिक्री में संलग्न होंगे। इस तरह कृषि मंत्रालय की किसान की परिभाषा में व्यापकता है और यह वर्ग सिर्फ खेती और किसानी तक सीमित नहीं है, बल्कि और बहुत से समूह हैं, जिन्हें आमतौर पर लोग किसान मानते ही नहीं हैं। (आईएएनएस )