हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को विभिन्न प्रकार की हथियार प्रणालियों की आपूर्ति करने के लिए भारत तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को यह बात कही। राजनाथ सिंह ने कहा कि देशों को समुद्री सहयोग के माध्यम से क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
चीन की विस्तारवादी रणनीति के कारण दक्षिण चीन सागर में मौजूदा तनाव के संदर्भ में, उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ समुद्री क्षेत्रों में परस्पर विरोधी दावों के नकारात्मक प्रभाव ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति सुनिश्चित करने की जरूरत पर प्रकाश डाला। हालांकि रक्षा मंत्री ने यहां हिंद महासागर क्षेत्र के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान दक्षिण चीन सागर में वर्तमान स्थिति का हवाला देते हुए चीन का नाम नहीं लिया।
28 हिंद महासागर देशों में से कुल 27 ने सम्मेलन में भाग लिया और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर अपने विचार साझा किए।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि हिंद महासागर एक साझा परिसंपत्ति है और दुनिया के आधे कंटेनर जहाजों, दुनिया के थोक कार्गो यातायात का एक तिहाई और दुनिया के दो तिहाई तेल लदान को ले जाने वाले प्रमुख समुद्री लेन के नियंत्रण के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और परिवहन के लिए एक साझा परिसंपत्ति और जीवन रेखा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सागर – इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास हिंद महासागर नीति का थीम है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में रेखांकित किया था। उन्होंने कहा कि इसके अनुरूप हिंद महासागर क्षेत्र के कॉन्क्लेव में सुरक्षा, वाणिज्य, कनेक्टिविटी, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और अंतर सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने तटवर्ती देशों में आर्थिक और सुरक्षा संबंधी सहयोग को मजबूत करना, भूमि और समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए क्षमताओं को बढ़ाना, टिकाऊ क्षेत्रीय विकास की दिशा में काम करना, टिकाऊ और विनियमित फिशिंग सहित ब्लू अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री डकैती, आतंकवाद, अवैध, असूचित और अनियमित (आईयूयू) फिशिंग आदि जैसे क्षेत्रों की पहचान की।
उन्होंने कहा कि आईओआर को समुद्री डकैती, ड्रग्स/लोगों और हथियारों की तस्करी, मानवीय एवं आपदा राहत और खोज एवं बचाव (एसएआर) जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिन्हें समुद्री सहयोग के जरिए पूरा किया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने 21वीं सदी में हिंद महासागर क्षेत्र के राष्ट्रों के सतत संवृद्धि और विकास की कुंजी के रूप में समुद्री संसाधनों की पहचान की। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ समुद्री क्षेत्रों में परस्पर विरोधी दावों के नकारात्मक प्रभाव ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति सुनिश्चित करने की जरूरत पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आईओआर देशों ने नियम आधारित व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करने की प्रतिबद्धता के लिए आपसी सम्मान का प्रदर्शन किया है। रक्षा मंत्री ने समुद्री संपर्क सागरमाला, प्रोजेक्ट मौसम और एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर आदि के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के बीच व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न नीतिगत पहलों की बात कही।
उन्होंने इस क्षेत्र में आर्थिक, व्यापारिक, नौसैनिक सहयोग और साझेदारी को और आगे ले जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र के देशों का मिला-जुला आपसी भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वे उभरती चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और अवसरों का लाभ कैसे उठाते हैं।
भारत के बढ़ते एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र और दुनिया के सबसे बड़े स्टार्ट अप पारितंत्र प्रणालियों में से एक के साथ वैश्विक अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में उभरने का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आईओआर देश पारस्परिक लाभ के लिए इन क्षेत्रों का फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना की ओर से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 83 उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके-1ए खरीदने का हालिया आदेश रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के मामले में भारत के स्वदेशीकरण में मील का पत्थर है।
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राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत आईओआर देशों को विभिन्न प्रकार की हथियार प्रणालियों की आपूर्ति करने के लिए तैयार है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सागर, नेबरहुड फस्र्ट और एक्ट ईस्ट पॉलिसियों के नजरिए के अनुरूप भारत ने साझेदार देशों में क्षमता निर्माण सहायता के माध्यम से सहयोगात्मक ²ष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि यह भारत द्वारा भारत निर्मित जहाजों, समुद्री विमानों की आपूर्ति और तटीय निगरानी रडार प्रणालियों की स्थापना में परिलक्षित हुआ है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक व्यापक समुद्री डोमेन जागरूकता खाका विकसित कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ‘व्हाइट शिपिंग सूचना’ के बंटवारे के लिए तकनीकी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।(आईएएनएस)