कल उज्जैन में आत्मसमर्पण/गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे को आज सुबह कानपुर लाया गया था, लेकिन सुबह 6:30 बजे के करीब, एसटीएफ़ की गाड़ी, जिसमे विकास दुबे को लाया जा रहा था उसका एक्सीडेंट हो जाता है, जिसके बाद विकास दुबे, पुलिस वालों की पिस्तौल छीन कर भागने की कोशिश करता है, लेकिन जवाबी कार्यवाही में कानपुर पुलिस को उसके ऊपर गोलियां चलानी पड़ी। गोलियों से घायल हुए विकास दुबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। और इस तरह, 8 पुलिस कर्मियों की एक साथ जान लेने वाले इस कुख्यात अपराधी की कहानी का अंत हुआ।
2-3 जुलाई की घटना
गत 2 –3 जुलाई की रात, उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टुकड़ी, कानपुर के चौबेपुर थानांतर्गत बिकरु गांव में विकास दुबे के घर के समीप, विकास दुबे और उसके गुर्गों द्वारा चलाई गयी गोलियों का शिकार हो गयी थी। पुलिस, विकास दुबे को एक हत्या के मामले में गिरफ्तार करने पहुंची थी। लेकिन मौके पर पहुंचते ही विकास दुबे व उसके गुर्गों ने पुलिस दल पर फ़ायरिंग शुरू कर दी। कुख्यात विकास दुबे को इस बात की जानकारी पहले से ही थी की कानपुर पुलिस उसे पकड़ने आ रही है। फ़ायरिंग में एक उप पुलिस अधीक्षक देवेंद्र मिश्र, तीन पुलिस उप निरीक्षण व चार सिपाहियों सहित कुल 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे |
कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की टीम को जिस तरह विकास दुबे की गैंग ने घेरा और आठ पुलिस कर्मियों की शहादत हुई, उससे इस अपराधी की निर्भीकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
विकास दुबे का आपराधिक इतिहास
- विकास दुबे ने 17 साल की उम्र में पहली हत्या की थी।
- पहली हत्या के बाद वह छोटी-मोटी चोरियां और लूटपाट करने लगा था ।
- सन 1991 में, विकास दुबे के खिलाफ पहला अपराध दर्ज हुआ था,धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने), और भारतीय दंड संहिता (IPC) के 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
- साल 1991 में उसने अपने गांव में ही एक व्यक्ति की ज़मीन कब्जाने के लिए उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद राम बाबू हत्याकांड, सिद्धेश्वर पांडे हत्याकांड और फिर राज्य मंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड के साथ ही विकास दुबे के अपराध का ग्राफ चढ़ता चला गया।
- सन 1992 में दो दलित व्यक्ति के हत्या का भी आरोपी था विकास दुबे। उसके खिलाफ चौबेपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। दुबे को गिरफ्तारी के बाद जेल भेजा गया था, लेकिन वो जल्द ही जमानत पर रिहा भी हो गया था।
- भूमि विवाद को लेकर दुबे ने शिब्ली शहर के तारा चंद इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
- विकास दुबे पर 2000 में जेल के अंदर से राम बाबू यादव की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप है।
- सन 2001 में विकास दुबे ने पुलिस स्टेशन के अंदर घुस कर भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या की थी। हालाँकि, अदालत में मुकदमे के दौरान पुलिस कर्मियों सहित सभी गवाहों के मुकर जाने के बाद उसे बरी कर दिया गया था।
- 2004 में केबल टीवी व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या का भी आरोपी था।
- 2018 में माटी जेल से अपने चचेरे भाई अनुराग दुबे की भी हत्या की साजिश रचने का आरोप था। अनुराग की पत्नी ने विकास दुबे सहित चार लोगों का नाम लिया था।
- वर्तमान में, विकास दुबे के खिलाफ 60 आपराधिक मामले दर्ज थे।
- विकास को अब तक दो मामलों में निचली अदालतों से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी थी।
विकास दुबे का राजनीतिक सफर
- 1990 के दशक के दौरान, दुबे को हरिकिशन श्रीवास्तव का करीबी माना जाता था, जो जनता दल और बाद में बसपा से विधायक बने। दुबे ने श्रीवास्तव के प्रतिद्वंद्वी रहे संतोष शुक्ला की थाने में हत्या कर दी थी।
- सन 2000 में दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीता, जबकि दुबे उस वक्त जेल में था । बसपा के एक वरिष्ठ राजनेता भी उनके बहुत करीबी कहे जाते थे।
- 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री काल के दौरान, दुबे ने कथित तौर पर कानपुर के बिलहौर, शिवराजपुर, चौबेपुर, रानिया इलाकों में ग़रीबों की शादी, बीमारी और बाकी मामलों में आर्थिक सहयोग किया करता रहा था।
- अभी विकास की पत्नी जिला पंचायत सदस्य है।
तत्कालीन राजनीतिक तंत्र से विकास को मदद मिलती रही
साल 2001 में जिस दर्जा प्राप्त मंत्री की हत्या की थी, उनके भाई मनोज की गवाही पर निचली अदालत ने भरोसा नहीं किया। साल 2001 की इस घटना में नामजद विकास 2006 में बरी हो गया। तब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। राज्य सरकार को अपराध के मुक़द्दमों में निचली अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट में अपील करना होता है, लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने हाईकोर्ट में कोई अपील नहीं की थी, जिसके बाद इस केस को बंद कर दिया गया था।
विकास दुबे की अपनी बिरादरी में एक ब्राहमण शेर और रॉबिनहुड वाली इमेज थी, क्योंकि अन्य बहुबलियों के माफिक विकास दुबे भी ग़रीबों की मदद का दिखावा करता था। विकास दुबे की इलाके में पैठ और इसके नाम के ख़ौफ़ ने अधिकारियों से लेकर पुलिस वालों तक को नियंत्रण में रखा था। कुछ समय पहले विकास दुबे ने निर्विरोध जिला परिषद का चुनाव जीता था, और बाद में उसकी पत्नी भी जिला परिषद सदस्य चुनी गयी थी।
2-3 जुलाई की रात 8 पुलिस वालों की हत्या के बाद फरार चल रहे विकास दुबे को कल उज्जैन के महाकाल मंदिर में पकड़ा गया, और फिर आज सुबह कानपुर लाया गया था, जहां उसकी पुलिस एंकाउंटर में मौत हो गयी। 2 जुलाई की घटना के बाद और विकास दुबे के पकड़े जाने के बीच, अमर दुबे, प्रभात मिश्रा, प्रवीण दुबे समेत 5 लोगों को पुलिस ने एंकाउंटर में मार गिराया था, जो की विकास दुबे के खास माने जाते थे।