किसानों को होगा दोहरा लाभ , बिहार के लीची बगानों में अब होगा बकरी और मुर्गी पालन

देश और विदेशों में मीठी और रसीली लीची के लिए प्रसिद्ध बिहार के लीची के बगीचों में अगर आपको मुर्गी और बकरी दिखे तो चैंकिएगा नहीं , क्योंकि अब लीची किसान अपने बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन भी करने लगे हैं।

litchi plant
लीची के बगीचे (pixabay)

 देश और विदेशों में मीठी और रसीली लीची के लिए प्रसिद्ध बिहार के लीची के बगीचों में अगर आपको मुर्गी और बकरी दिखे तो चैंकिएगा नहीं, क्योंकि अब लीची किसान अपने बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन भी करने लगे हैं। इससे न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा बल्कि लीची के पौधों को भी कीड़ों से बचाया जा सकेगा।

मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा लीची के किसानों कि आमदनी को बढ़ाने के लिए लीची के बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन की सलाह दे रहा है। केंद्र का मानना है कि इससे लीची के बागान में छोटे-छोटे पौधे और कीड़े मकोड़े से नुकसान को रोकने के लिए कीटनाशक का छिड़काव भी अब नहीं करना पड़ सकता है।

कहा जा रहा है कि लीची के बगीचे में तरह-तरह के छोटे-छोटे पौधे हमेशा निकलते रहते हैं, जो पलने वाले बकरी का चारा बन जाएगा। उसी तरह लीची बगानों में जो कीड़े मकोड़े उत्पन्न होते हैं वे सभी मुर्गों का भोजन हो जाएगा।

किसानों के हित में लगातार काम करने वाला राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के अंदर बागवानी में महंगे तथा साधारण किस्म के मुर्गे पालकर इसका प्रयोग भी किया जा रहा है।

केंद्र के निदेशक डॉ. एस डी पांडेय ने आइएएनएस से बातचीत में बताया, “अपने यहां लीची के किसान जो की एक फसल लीची का निकाल लेते हैं और दूसरे फसल की तैयारी में फिर उन्हें काफी समय लग जाता है। इसकों देखते हुए हम अपने किसानों की आमदनी को बढ़ाने का एक और तरीका निकाला है, जिसे मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, समस्तीपुर सहित अन्य जिले के किसान अपना भी रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी मिलनी शुरू हो गई है।”

उन्होंने बताया कि लीची के छोटे किसानों को लीची से अच्छी खासी आमदनी नहीं होती है, कभी-कभी मौसम के साथ ना देने के कारण उन्हें मायूसी भी हाथ लगती है।

अब लीची किसान अपने बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन भी करने लगे हैं(pixabay)

ऐसे में लीची किसान अपने बजट के हिसाब से अपने लीची के बगीचे में बकरे पालन या मुर्गी पालन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, “मुर्गे और बकरी के बीट से लीची के पेडों को भी लाभ मिलता है। अगर किसान बड़े पैमाने पर मुर्गी और बकरी का पालन करना प्रारंभ कर दिया तो बडे पैमाने पर इसका व्यापार भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बगीचे में पालने वाले मुर्गों का चारा भी आसानी से इन बगीचों में प्राप्त हो जाएगा। पांडेय का दावा है कि कम खर्च में ऐसा कर किसान ज्यादा लाभ कमा सकेंगे।”

केंद्र के इस सलाह के बाद मुजफ्फरपुर की मशहूर लीची के किसानों के बगीचे में अब बकरी और मुर्गा पालन भी किसान आसानी से कर सकेंगे।

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बिहार की शाही लीची देश और विदेशों में भी चर्चित है. इस साल लीची ब्रिटेन तक पहुंच चुकी है। शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है। बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय सहित कई जिलों में शाही लीची के बाग हैं, लेकिन लीची का सबसे अधिक उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है।

–(आईएनएस-PS)

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