भाजपा के दिवंगत नेता एवं भारत के पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली कार्य कुशलता, अपनी बुद्धि एवं साहसिक फैसले के लिए जाने जाते थे। उनके द्वारा वित्तमंत्री रहते हुए लिए गए फैसलों को आज भी याद किया जाता है। उन फैसलों का देश के कई गरीब एवं मध्यमवर्ग के लोग लाभ उठा रहे हैं। छात्र समय से ही अरुण जेटली ने राजनीति में कदम रख दिया था। उन्होंने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से लेकर देश के वित्त मंत्री तक की जिम्मेदारी संभाली। आइए जानते हैं वित्तमंत्री रहते हुए अरुण जेटली द्वारा लिए गए पाँच अहम फैसले:
1. इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड
इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुधारों में आता है। जिसको लाने का श्रेय अरुण जेटली को ही जाता है। बैंकों से बड़े-बड़े कर्ज़ लेकर उसे गबन करने वालों के लिए यह फैसला एक अहम सबक है। बीते 2 सालों में इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक कीमत की फंसी हुई संपत्तियों का निस्तारण किया गया है।
2. गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स जिसे आम भाषा में GST कहा जाता है वह फैसले का भी श्रेय अरुण जेटली को ही जाता है। राज्यों को इस फैसले पर मनाना एक चुनौती ही था जिसे अरुण जेटली ने ही दूर किया। यह फैसला एक साहसिक किन्तु क्रन्तिकारी फैसला था। शुरुआत में में कई समस्याओं से जूझने के बाद और GST फाइलिंग की प्रक्रिया को आसान बनाने के बाद अब सब कुछ सरल और सही तरीके से चल रहा है। इसे बिजनस फ्रेंडली बनाने के साथ-साथ टैक्स दरों को संशोधित कर आम उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने वाला बनाया गया है।
3. बैंकों का एकीकरण
बैंकों में सुधार के लिए अरुण जेटली द्वारा लिया गया यह अहम फैसला था। स्टेट बैंक में उसके 5 असोसिएट बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हो चाहे देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय, इन फैसलों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत में सुधार हुआ।
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4. विनिवेश पर फैसला
1999 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विनिवेश विभाग का गठन किया तो इसकी जिम्मेदारी जेटली को दी। जेटली के कामों का ही नतीजा था कि वाजपेयी ने 2001 में अलग से विनिवेश मंत्रालय का गठन किया। तत्कालीन विनिवेश मंत्री अरुण शौरी के नेतृत्व में सरकार ने घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम की। विनिवेश मंत्री के तौर पर शौरी अगर कामयाब हुए तो उसके पीछे जेटली द्वारा लिए गए फैसले थे। विनिवेश से सरकार पर घाटे वाले PSU के बोझ को हल्का करने में मदद तो मिली ही, दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए अतिरिक्त धन मिला। तब पर्यटन विकास निगम के कई होटलों में विनिवेश हुआ। हालांकि, विनिवेश का काफी विरोध भी हुआ और आलोचकों ने इसे निजीकरण की कोशिश करार दिया।
5. राजकोषीय घाटा और महंगाई पर नियंत्रण
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर वित्त मंत्री जेटली के नाम यह भी एक बड़ी उपलब्धि है। 2014 में भारत का राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत था, जो अप्रैल 2019 में घटकर 3.4 प्रतिशत पर आ गया। इसी तरह 2014 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 9.5 था जो अप्रैल 2019 में 2.92 दर्ज किया गया। यह एक अच्छी पहल थी।