हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर ठोस कचरा (सॉलिड वेस्ट) कलेक्शन की उपलब्धि हासिल की है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि दोनों राज्यों ने मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक में विवरण साझा किए हैं।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में बताया कि उनके राज्यों ने ठोस कचरे का 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर संग्रह किया है।
सूत्रों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 100 प्रतिशत और उत्तराखंड में 65 प्रतिशत वाडरें में अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने राज्य में 369.46 टन प्रति दिन (टीपीडी) या 98 प्रतिशत कचरे का प्रसंस्करण किया, जबकि उत्तराखंड का आंकड़ा 901.45 टीपीडी रहा।
दोनों राज्यों के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, मंत्रालय के सचिव ने जोर दिया कि राज्यों को जीएफसी (गारबेज-फ्री सिटी) प्रमाणन प्राप्त करने के लिए शहरों को तैयार करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए और उनसे अनुरोध किया कि वे देखें कि उनके सभी शहरी स्थानीय निकायों ने ओडीएफ प्लस और ओडीएफ प्लस प्लस के लिए अपनी स्थिति में सुधार किया है। उन्होंने 2022 तक आधे शहरों के लिए थ्री-स्टार जीएफसी का दर्जा हासिल करने के प्रयास पर भी जोर दिया।
हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों ने कहा कि राज्य ने 1,567 सीटों का निर्माण करके 876 सामुदायिक शौचालय (सीटी) या सार्वजनिक शौचालय (पीटी) सीटों के अपने लक्ष्य को पार कर लिया है।
यह भी पढ़ें – यमुना और उसके घाटों की सफाई को आगे आए डीयू के छात्र
वहीं उत्तराखंड ने 2,611 सीटों के लक्ष्य के मुकाबले 20,750 (75 प्रतिशत) व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) और 4,642 सीटी और पीटी सीटों का निर्माण किया है।
मंत्रालय के सचिव ने उत्तराखंड के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि राज्य में 100 प्रतिशत अपशिष्ट प्रबंधन के लक्ष्य को जल्द से जल्द हासिल करें, क्योंकि इससे कचरे की प्रसंस्करण लागत में कमी आएगी।
मिश्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू किया गया अंबिकापुर मॉडल एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
उन्होंने राज्य सरकार को सलाह दी कि वह नगरपालिका के अधिकारियों की एक टीम की प्रतिनियुक्ति करे।(आईएएनएस)