दीपावली पर्व को असत्य पर सत्य के विजय के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार देश भर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। मित्रगण एक दूसरे को उपहार देते हैं, खुशियां बांटते हैं और मिल-जुल कर रहने का संकल्प लेते हैं। दीपावली साल 2020 में भी इसी तरह मनाई जा रही है किन्तु इस वर्ष लोग कोरोना महामारी पर विजय पाने की प्रार्थना कर रहे हैं। जैसा कि आप सब जानते हैं कि कोरोना महामारी ने त्योहारों का रंग-रूप ही बदल दिया है। उचित दूरी और मास्क ही हम सबके लिए इस महामारी से बचने का विकल्प है।
क्या बदलाव आएं हैं इस वर्ष की दीपावली में?
अन्य वर्षों के मुकाबले इस वर्ष, उपहार बनाने वाली कंपनियां बहुत डर-डर कर अपने उत्पाद को बाजार में उतार रही है। क्योंकि उन्हें यह भय है कि क्या यह सब बिक पाएंगें? यह डर जायज़ भी है क्योंकि कई शहरों में कोरोना स्तर बढ़ने लगा है और लोग अपनों के घर जाने से कतरा भी रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का नारा देश को दिया है। जिसका परिणाम भी देखा जा सकता है क्योंकि लोग अब चीनी उत्पादों से ज़्यादा लोकल उत्पादों की खरीदारी कर रहे हैं। इसके दो मुख्य कारण हैं, पहला, भारत-चीन सीमा पर विवाद और इसी वर्ष चीनी सेना द्वारा किए गए भारतीय सैनिकों पर कायरतापूर्ण हमला जिससे भारतीय व्यापारियों और जनता में चीन के खिलाफ गुस्सा है। दूसरा, मध्यम एवं उच्च वर्गीय लोग अपनी दीपावली खुशी एवं उल्लास के साथ मना लेते हैं किन्तु गरीब तबका वह खुशी नहीं महसूस कर पता है। वैसे भी कोरोना महामारी का सबसे बुरा प्रभाव इसी वर्ग पर हुआ है और खासकर मजदूर, कुम्हार और फूल विक्रेता पर। हमने पलायन की घटनाओं को तो देखा ही किन्तु कुम्हार और फूल विक्रेताओं का दुःख नहीं देख पाए। यही कारण है कि वोकल फॉर लोकल अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण कदम है।
लोग त्यौहार के उल्लास में कोरोना महामारी को न भूल जाएं इसके लिए सरकार द्वारा उचित कदम भी उठाए जा रहे हैं। जैसे, बाजार में उचित दूरी बनाना और मास्क पहनना अनिवार्य है और जो कोई इन नियमों का पालन नहीं करता देखा गया उन पर पुलिस द्वारा जुर्माना लगाया गया।
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राजनीतिक गलियारे में किसकी रही दिवाली?
आप सबको ज्ञात है कि दिवाली से चार दिन पहले बिहार के विधानसभा चनाव और अन्य राज्यों में उप-चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। जिसका परिणाम यह था कि भाजपा एवं एनडीए के लिए यह दिवाली खुशियों भरी रही। बिहार में राजद के लिए भी बिहार चुनाव खुशियां लेकर आई, क्योंकि सबसे अधिक सीटें राजद ने ही जीते हैं किन्तु समूह में अकेले जीतना काफी नहीं होता जिस वजह से उनके लिए यह दिवाली फीकी साबित हुई। उत्तरप्रदेश और गुजरात में भी भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा और तो और मध्य-प्रदेश में भाजपा अपनी सरकार बचाने में सफल रही। इसलिए यह दिवाली भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए कई तोहफे ले आई।
इस साल भी नहीं जलाए जाएंगे पटाखे?
एक तो महामारी और उस पर से बढ़ता प्रदुषण स्तर इस देश के लिए चिंता बढ़ाती जा रही है। इसी वजह से सर्वोच्च न्यायलय ने यह आदेश दिए हैं कि इस दिवाली प्रदुषण फ़ैलाने वाले पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई जाए और केवल ग्रीन पटाखे ही बाजार में उपलब्ध हों। कई राज्य इस आदेश से सहमत हैं और कुछ दो राय रखते हैं। किन्तु यह बात सही है कि प्रदूषण स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है।