भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जानकारी दी है कि शिक्षा के माध्यम से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए देश में 63 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, 4 डीम्ड विश्वविद्यालय और 4 केंद्रीय विश्वविद्यालय कृषि संकाय के साथ काम कर रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
आईसीएआर ने सूचित किया है कि कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्रों को कृषि शिक्षा में आकर्षित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर छात्रों को विभिन्न राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं।
इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की परिकल्पना है कि बेहतर कुशल स्नातकों और तकनीशियनों, नवीन अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं से जुड़े बाजार-आधारित विस्तार के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाई जाए। इसके लिए कृषि और संबद्ध विषयों की क्षमता और गुणवत्ता दोनों में सुधार किया जाना चाहिए।
सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान में पेशेवरों की तैयारी में तेजी से वृद्धि की जाएगी। कृषि शिक्षा का डिजाइन स्थानीय ज्ञान, पारंपरिक ज्ञान और उभरती प्रौद्योगिकियों को समझने और उपयोग करने की क्षमता वाले विकासशील पेशेवरों की ओर स्थानांतरित हो जाएगा। भूमि उत्पादकता में गिरावट, जलवायु परिवर्तन, हमारी बढ़ती आबादी के लिए खाद्य पर्याप्तता आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से यह पेशेवर अवगत होंगे।
इसके अलावा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम चरण 3, शिक्षा मंत्रालय, सरकार द्वारा शुरू किया गया। हाल ही के बजट 2021-22 में प्रारंभिक कार्य शुरू करने के लिए तकनीकी शिक्षा में बहुविषयक शिक्षा अनुसंधान सुधार के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है कि राज्य सरकारें तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के लिए एक स्थिरता योजना तैयार करें, ताकि परियोजना अवधि यानी 30 सितंबर 2021 से आगे किसी भी शैक्षणिक गतिरोध से बचा जा सके।
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शिक्षा मंत्रालय ने फोकस राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए की गई गतिविधियों को जारी रखने की योजना बनाने का अनुरोध किया है।(आईएएनएस-ps)