शोधकतार्ओं को अपने किए एक हालिया शोध में इस तथ्य का पता चला है कि कोविड-19 के निरंतर किफायती परीक्षणों के माध्यम से कुछ ही हफ्तों में वायरस को काबू में लाया जा सकता है। रिसर्चरों ने दावा किया है कि भले ही ये परीक्षण गोल्ड स्टैनडर्ड नैदानिक परीक्षणों की तुलना में कम संवेदशनशील हो, लेकिन इनका कराया जाना जरूरी है। अमेरिका में कोलारडो विश्वविद्यालय से शोध के मुख्य लेखक डेनियल लार्मर ने कहा, “शोध में सामने आए निष्कर्षों के मुताबिक, बात जब लोगों के स्वास्थ्य की आती है, तो ऐसे कम संवेदनशील परीक्षणों का कराया जाना बेहतर है, जिनके परिणाम हाथोंहाथ मिल जाए, न कि ऐसे परीक्षण जिसके नतीजे के लिए हमें एक दिन का इंतजार करना पड़े।”
उन्होंने आगे कहा, “लोगों को घर में इस वजह से रहने की सलाह देना ताकि किसी एक संक्रमित व्यक्ति की वजह से दूसरों में रोग का प्रसार न हो, हम सिर्फ संक्रमितों को ही घर पर रहने की सलाह दे सकते हैं ताकि बाकियों की जिंदगी पर कोई असर न पड़े।”
इस शोध को जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित किया गया। इसके लिए रिसर्च टीम ने हावर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर इस बात को जानने की कोशिश की कि परीक्षण की संवेदनशीलता,उसकी आवृत्ति या उसका टर्नअराउंड टाइम कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
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शोधकर्ताओं ने देखा कि जब किसी व्यक्ति में कोरोनावायरस के लक्षण दिखते हैं या जब कोई संक्रमित हो जाता है, तो संक्रमण के दौरान शरीर के अंदर वायरल लोड का उतार-चढ़ाव कैसे होता है।
फिर उन्होंने तीन काल्पनिक परि²श्यों 10,000 व्यक्तियों, 20,000 व्यक्तियों और शहर में उपस्थित 84 लाख व्यक्तियों पर विभिन्न प्रकार के परीक्षणों के साथ स्क्रीनिंग के प्रभाव का पूवार्नुमान लगाने के लिए गणितीय मॉडलिंग का उपयोग किया।
बात जब वायरस के फैलने पर अंकुश लगाने की आई तो परीक्षण की संवेदनशीलता के मुकाबले उसका बार-बार कराया जाना या उसके टर्नअराउंड टाइम यानि कि प्रक्रिया को पूरा करने की समयावधि का अधिक महत्व है।(आईएएनएस)